Wednesday, April 6, 2011

क्या दिनेशराय द्विवेदी जी भारत के पी. एम. से भी ऊँचे किसी रूतबे पर बिठा दिए गए हैं ?

सुनिये मेरी भी....: सलीम खान से डरते हो आप, आपके दिल में भी कोई जगह तक नहीं उसके लिये... इतने छोटे दिल के साथ कैसे ' हमारी वाणी ' कहला सकते हो आप ?






Comment No. 1
द्विवेदी जी के विरोध पर हमारे दो ब्लॉग्स का निलंबन क्यों ?
दिनेशराय द्विवेदी जी अपनी उम्र और अपने इल्म की वजह से हमारे लिए आदरणीय हैं लेकिन वे धर्म का विरोध करते हैं और दूसरे लोगों को भी धर्म के विरोध के लिए उकसाते हैं और नहीं समझते कि एक मर्द के लिए मां, और बेटी का रिश्ता पवित्र होता है। यह बात दुनिया में केवल धर्म बताता है। ऐसे में धर्म का विरोध मेरी नज़र में ग़लत और अनर्थकारी है और मैं उनकी इस बात का विरोध अनिवार्य समझता हूं। पिछले दिनों जनाब वकील साहब ने औरतों से कहा कि वे धर्म के खि़लाफ़ बग़ावत कर दें ताकि वे समानता का अधिकार पा सकें। ऐसा कहते हुए उन्होंने यह भी न देखा कि जिन देशों में औरतों ने धर्म से बग़ावत कर रखी है, वहां उन्हें समानता कितनी मिल पाई है ?
इसी के साथ उन्होंने भविष्यवाणी कर दी कि कुछ लोगों के ज्ञानदीप को भी बुझाया जाने वाला है।
समाज की सभी औरतों पर उनकी बात का नकारात्मक विरोध न पड़े मैंने उनकी बात का विरोध किया लेकिन मेरी टिप्पणी को वे बार-बार मिटाते रहे। ऐसा उन्होंने 5 बार किया। वे अपने ब्लॉग के मालिक हैं, मिटाना चाहें तो मिटा सकते हैं लेकिन यह एक सैद्धांतिक विरोध था। मैं अपने ब्लॉग का मालिक हूं। मैंने उस कमेंट को अपने ‘कमेंट गार्डन‘ ब्लॉग पर लगाया और इस मिटा-मिटाई की ख़बर ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ पर भी दी जो कि वर्चुअल दुनिया को ताज़ातरीन घटनाओं की जानकारी देने के लिए ही बनाया गया है। मेरे दोनों ही ब्लॉग्स को तुरंत ही निलंबित कर दिया गया।
हमारी वाणी बताए कि इसमें ग़लती मेरी है या हमारी वाणी की ?
ग़लती मुझे माननी चाहिए या कि हमारी वाणी को ?
दूसरे बहुत से व्यक्तियों के विचारों का विरोध करने वाली पोस्ट्स आए दिन हमारी वाणी पर प्रदर्शित होती रहती हैं लेकिन उन ब्लॉग्स को तो निलंबित नहीं किया जाता, फिर द्विवेदी जी के विरोध पर हमारे दो ब्लॉग्स का निलंबन क्यों ?
इसी के साथ हमारे साझा ब्लॉग ‘प्यारी माँ‘ को भी निलंबित कर दिया गया। भाई साहब, उसमें तो हमने वकील साहब का विरोध भी नहीं किया था और न ही उसमें वे लेखक हैं जो कि एक दिन में एक ही लेख कई जगह लिखते हों। ऐसा करके हमारी वाणी ने हमारे उस अभियान को नुक्सान पहुंचाया जो कि मातृत्व को आदर देने और उसे सुरक्षित रखने के लिए बहुत से सम्मानित बुद्धिजीवी मिलकर चला रहे हैं।
जहाँ ग़लती होगी तो उसे हम ज़रूर मानेंगे लेकिन हम केवल इसलिए अपनी ग़लती नहीं मान लेंगे कि दूसरे बहुत से लोगों ने मान ली है। दूसरों ने मानी है तो या तो उन्होंने ग़लती की होगी या फिर उनमें आत्मबल की कमी है। यहाँ ऐसा कुछ भी नहीं है।
आत्मबल के धनी भीष्म को मारने के लिए धोखेबाज़ों को एक शिखंडी की ज़रूरत हमेशा पड़ती है। भीष्म की मजबूरी है कि वह हाथ नहीं उठा सकते। धोखा खाने और हार जाने के बावजूद वे सम्मान पाते हैं।
साझा ब्लॉग ने षडयंत्रकारी संगठन को यह दिखा दिया है कि ब्लॉगर उनके बंधुआ नहीं हैं। वे जिसके साथ उचित समझेंगे, जुड़ने के लिए स्वतंत्र हैं। अनवर हो या सलीम या फिर जनाब मासूम साहब, उनके साथ ब्लॉगर्स का जुड़ना इन तंगदिलों को पसंद नहीं है। इसी वजह से साझा ब्लॉग के खि़लाफ़ मुहिम छेड़ी गई है। तिल जितनी ग़लती को ताड़ बनाकर पेश किया जा रहा है।
पसंद तो इन्हें हमारे एकल ब्लॉग भी नहीं हैं, तो क्या हम ब्लॉग लिखना ही छोड़ दें या फिर आप यह चाहते हैं कि हम अपने विचार मुख्य धारा के किसी एग्रीगेटर में सामने ही न लाएं।
जो भी ब्लॉगर एक लेख को कई जगह पेस्ट करे, उसके निजी ब्लॉग को निलंबित कर दीजिए, वह खुद कॉपी पेस्ट करना बंद कर देगा। सही कार्रवाई न करके रंजिशें निकालना एग्रीगेटर को नुक्सान ही देता है। ब्लॉगवाणी बंद हुई तो उसके पीछे भी ऐसी ही बेतुकी कार्रवाई की मांग का शोर मचाया जाना था।
अनवरत: औरत और मर्द बराबर हैं लेकिन "एक जैसे' हरगिज़ नहीं हैं हर महीने औरतें कुछ ऐसी चीज़ें भी खरीदती हैं जो मर्द कभी नहीं खरीदते Women are different


Comment No. 2
शाहनवाज़ भाई ! आप कहते हैं कि
‘एक ही पोस्ट को अलग-अलग ब्लॉग पर पोस्ट करने और ऐसा बार-बार करने तथा किसी धर्म / जाति  / लिंग अथवा व्यक्ति विशेष को अपमानित करने के उद्देश्य से अगर लेख लिखा जाएगा तो ब्लॉग का निलंबन हो सकता है.‘
आप कहते हैं कि
‘आपके अगर किसी ब्लॉग का निलंबन किया गया है तो उसके लिए आपको बताया भी गया होगा कि क्यों किया गया है ?‘

इस संबंध में आपको जानना चाहिए कि कोटा वाले वकील द्विवेदी जी ने औरतों को सार्वजनिक रूप से धर्म के खि़लाफ़ बग़ावत करने के लिए उकसाया जिस पर आपने भी आपत्ति की है और जब जनाब मासूम साहब ने उनके कथन पर आपत्ति जताई तो उन्होंने मासूम की नीयत पर ही संदेह जता दिया।
1- क्या यह धर्म के खि़लाफ़ विष वमन करना नहीं कहा जाएगा ?
2- क्या किसी सम्मानित ब्लॉगर की नीयत पर बिना किसी सुबूत के संदेह करना उसे अपमानित करना नहीं कहा जाएगा ?
इसके बावजूद भी आपने उनके ब्लॉग को हमारी वाणी से निलंबित क्यों न किया ?
जबकि हमने विरोध किया तो उन्होंने 5 बार हमारी टिप्पणी मिटाकर सच का गला घोंटने की नाकाम कोशिश की और जब हमने वह कमेंट अपने निजी ब्लॉग पर पब्लिश कर दिया तो उसे निलंबित कर दिया जो कि अभिव्यक्ति की आज़ादी का खुले तौर पर हनन है। वकील साहब के ब्लॉग को भी निलंबित कर दिया जाता तो हमें हमारी वाणी से पक्षपात की शिकायत न होती।
‘ब्लॉग की ख़बरें‘ हिंदी ब्लॉग जगत का एकमात्र समाचार पत्र है। जब इस घटना की रिपोर्टिंग इस अनुपम समाचार पत्र ने प्रकाशित की तो इसे भी तुरंत निलंबित कर दिया गया। इस तरह तो भारत सरकार भी नहीं करती। आए दिन प्रधानमंत्री के खि़लाफ़ अख़बारों में लेख लिखे जाते हैं और उनके कार्टून बनाए जाते हैं और उनकी आलोचना की जाती है। इसके बावजूद सरकार अख़बारों को सस्ते दामों काग़ज़ उपलब्ध कराती रहती है और अपने हरेक आयोजन में उन्हें सम्मान सहित आमंत्रित करती है।
क्या दिनेशराय द्विवेदी जी भारत के पी. एम. से भी ऊँचे किसी रूतबे पर बिठा दिए गए हैं कि उनके किसी विचार का विरोध करते ही हमारी वाणी बिना किसी सूचना के तुरंत हमारे ब्लॉग निलंबित कर देगी। आज तक भी हमारी वाणी की ओर से हमें अधिकारिक रूप से यह तक नहीं बताया गया कि हमारे कुल कितने ब्लॉग निलंबित किए गए हैं और किस ब्लॉग को किस जुर्म में निलंबित किया गया ?
तंग आकर हमने आपसे फ़ोन पर संपर्क किया तो आपने भी मोटे तौर पर यही बताया कि साझा ब्लॉग को निलंबित कर दिया गया है। हमने हमारी वाणी से निराश होकर दूसरे एग्रीगेटर्स पर अकाउंट बनाने में अपना समय लगाया और हमारी वाणी को देखना कम कर दिया। इस बीच जब कभी हमारी वाणी पर ‘प्यारी मां‘ की किसी पोस्ट पर नज़र पड़ी तो उसमें हमें यही नज़र आया ‘पिछली पोस्ट 3‘। आप खुद भी देख सकते हैं। एक ताज़ा पोस्ट इस समय हमारी वाणी के बोर्ड पर नज़र आ रही है। यह देखकर हम यही समझे कि शायद इसे निलंबित करने के बाद पुनः जोड़ लिया गया है तभी यह पिछली पोस्ट 3 दिखा रहा है। हमें क्या मालूम कि यह हमारी वाणी का कोई दोष है ?
हम इसका ज़िक्र करना भी नहीं चाहते थे लेकिन जब कहा जा रहा है कि या तो आप भ्रमित हैं या फिर जानबूझकर भ्रम फैला रहे हैं तो हमें बताना पड़ा कि भ्रम हमारी वाणी के गणना दोष की वजह से फैल रहा है। इसी को सिद्ध करने के लिए हमें आज इस ब्लॉग पर एक पोस्ट भी पब्लिश करनी पड़ी।
हमारी वाणी के कई मार्गदर्शकों में से हमें अभी तक किसी से भी कोई शिकायत नहीं है, सिवाय प्रमुख के। द्विवेदी जी नास्तिक हैं और वे अपने विचार रखने और कहने के लिए वे स्वतंत्र हैं लेकिन क्या उनके विरूद्ध उठने वाले हरेक स्वर को हमारी वाणी दबा देगी ?
अगर हमारी वाणी यही नीति जारी रखती है तो अभिव्यक्ति की आज़ादी में विश्वास रखने वालों का इस पर बने रहना कठिन है। आप चाहें तो हमारे सारे ब्लॉग ख़त्म कर दीजिए ताकि आपके लिए भविष्य में किसी प्रकार की कोई असुविधा उत्पन्न न होने पाए।
हमारी वाणी फले फूले, मालिक से हम यह दुआ हमेशा से करते आए हैं और आगे भी करते रहेंगे।

http://blogkikhabren.blogspot.com/