Sunday, April 3, 2011

साझा ब्लॉग एक टी. वी. चैनल की तरह होता है T V Channel

@ हरीश जी ! आपने यह नियम बनाया है कि एक लेखक एक सप्ताह में केवल एक लेख ही पोस्ट कर सकता है और कोई दूसरा लेखक तब तक अपना धारावाहि शुरू नहीं कर सकता जब तक कि पहले का ख़त्म न हो जाए।
यह नियम बेवजह है।
आपका ब्लॉग एक चैनल की तरह है। जब एक टी. वी. चैनल एक लेखक के धारावाहिक के साथ अन्य दसियों लेखकों के धारावाहिक भी दिखा सकता है तो फिर आपको क्या आपत्ति है ?
अगर एक लेखक का धारावाहिक 6 माह में ख़त्म हुआ तो क्या तब तक दूसरे बैठे ही रहेंगे ?
यही हाल सप्ताह में एक लेख की पाबंदी लगाने की है।
हमारे आदरणीय डा. श्याम गुप्ता जी प्रतिभा के भी धनी हैं और समय भी निकाल लेते हैं तो वे जल्दी जल्दी रचनाएं तैयार कर लेते हैं। अगर किसी में प्रतिभा है और वह अपने शौक़ के लिए दूसरे कामों को पीछे धकेल कर वक्त भी निकाल लेता है तो इसमें उसका क्या कुसूर है ?
अगर वह रोज़ लिख सकता है तो वह क्यों न रोज़ लिखे ?
इस तरह के नियम रचनाकारों की रचनाधर्मिता को प्रभावित करते हैं।
अलबत्ता यह सही है कि एक लेख को एक ही दिन में बहुत सी जगहों पर पेश न किया जाए।
दूसरे नियम भी ठीक हैं। उनसे गुणवत्ता बेहतर होगी।
लेकिन यह कोई बात नहीं है कि एक दिन में मात्र 3 लेख ही दिखाए जाएंगे।
भाई कभी 6 भी आ सकते हैं और कभी ऐसा भी होगा कि पूरे दिन में आपको 1 ही लेख मिलेगा।
यह सब लेखकों के हालात पर निर्भर है। इसे उन पर ही छोड़ दिया जाए तो बेहतर है।
मैं ऐसा समझता हूं इस ब्लॉग के हित में। बाक़ी आप बेहतर जानते हैं। 
http://www.upkhabar.in/2011/02/blog-post.html?showComment=1301167778245#c3052069981488287354