Monday, April 11, 2011

धर्म कभी कष्ट नहीं देता, कभी अनिष्ट नहीं करता Simple Teachings

मेरे योग गुरु पंडित अयोध्या प्रसाद मिश्र जी ( 84 वर्षीय )
आपने विषय को गहराई से समझने का प्रयास किया है और उसे सच्चाई से कहने का साहस भी किया है। यही सच हमें मार्ग दिखाता है। आपने सच कहा है कि हमें रचने वाला परमेश्वर एक ही है। इसीलिए हरेक देश में रहने वाले इंसानों की बनावट एक ही है। जब हम ग़ौर से देखते हैं तो पता चलता है कि हमारे माता-पिता भी एक ही हैं। अंतर मात्र इतना है कि अलग-अलग भाषाओं में उनके नाम अलग-अलग हैं। जैसे कि सूर्य को अरबी में शम्स कहा जाता है लेकिन इन दोनों ही नामों से अभिप्रेत एक ही चीज़ होती है।
कालांतर में वासनाओं में जीने वालों ने खुद को परिस्थितियों के अनुसार ढालने के नाम पर बहुत सी चीज़ें और बहुत सी नई परंपराएं धर्म में मिला दीं। हिंदू धर्म के साथ भी यही किया गया और इसलाम के साथ भी और यह काम हमेशा हुआ। इन्हीं कुरीतियों ने समाज को बहुत कष्ट दिया है। ये कुरीतियां कभी धर्म नहीं थीं। धर्म कभी कष्ट नहीं देता, कभी अनिष्ट नहीं करता। कल्याण धर्म में ही निहित है। हमारा कल्याण ईश्वर के प्रति अपनी इच्छाओं को समर्पित करके उसके मार्गदर्शन में जीवन गुज़ारने में ही है। इसीलिए
हमारे पूर्वज हमें ईश्वर से जोड़ते हैं जो कि कल्याणकारी है The Lord Shiva and First Man Shiv ji

अल्लाह के रसूल (स.) ने फ़रमाया-
‘ज़ुल्म से बचते रहो, क्योंकि ज़ुल्म क़ियामत के दिन अंधेरे के रूप में ज़ाहिर होगा और लालच से भी बचते रहो, क्योंकि तुम से पहले के लोगों की बर्बादी लालच से हुई है। लालच की वजह ही से उन्होंने इन्सानों का खून बहाया और उनकी जिन चीज़ों को अल्लाह ने हराम किया था, उन्हें हलाल कर लिया।‘ 
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