Monday, April 11, 2011

विरोधाभास का मुग़ालता नाहक़ है No Confusion

@ डा. श्याम गुप्ता जी ! हज़रत मुहम्मद साहब स. अल्लाह के दूत हैं और उसकी ओर मार्ग दिखाने वाले ईश्वर की ओर से प्रमाणित पथप्रदर्शक जैसे कि हज़रत नूह अलैहिस्सलाम थे। धर्म के जो सिद्धांत हज़रत नूह अलैहिस्सलाम अर्थात जल प्लावन वाले महर्षि मनु ने सिखाए थे, जब जगत से उनका लोप हो गया और अनाचार का लोप हो गया तो अलग-अलग ज़मानों में, अलग-अलग इलाक़ों में बहुत से पथप्रदर्शक रसूल और नबी हुए हैं और उनके पदचिन्हों पर चलने वाले सत्पुरूषों-वलियों ने उनके बाद आज तक धर्म की चेतना को बचाए रखा है।
ईश्वर हमेशा है और हमेशा रहेगा। उसी ने सृष्टि को पैदा किया है और वही उसका पालन करता है। नफ़ा-नुक्सान केवल उसी के हाथ में है। हरेक चीज़ केवल उसी के अधीन है। वही सच्चा राजा है, उपासना का वही एकमात्र अधिकारी है। वह सर्वज्ञ है। ये कुछ गुण ऐसे हैं जो किसी सृष्टि में नहीं हो सकते। सृष्टि में इन गुणों को मानना वर्जित है। जो ऐसा करता है वह किसी सृष्टि को ईश्वर के गुणों में शरीक करता है जो कि असत्य और भ्रम है।
परमेश्वर के लिए बहुत से नाम हरेक ज़बान में हैं। अरबी भाषा में उसके अस्तित्व के बोध के ‘अल्लाह‘ नाम लिया जाता है। उसके गुणों और उसकी सिफ़तों को बयान करने के लिए रब, मालिक, रहीम, करीम, लतीफ़, ख़बीर, अलीम, ख़ालिक़, फ़ातिर और नूर आदि नाम लिए जाते हैं।
इनमें से किस बात में आपको विरोधाभास का मुग़ालता नाहक़ हुआ ?
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Please see
http://islamdharma.blogspot.com/2011/03/maulana-qari-tayyab-sahab.html