Friday, April 8, 2011

आदर्श माँ बाप की बेमिसाल कुरबानियाँ The Sacrifice

@ बहन दर्शन कौर जी ! इस ज़मीन पर इंसान की ज़िंदगी का वुजूद माँ और बाप की वजह से है। ये लोग सिर्फ़ बदन को ही इस दुनिया में नहीं लाते बल्कि उसकी परवरिश भी करते हैं और इससे भी ज़्यादा यह कि उसके मन और बुद्धि को भी इल्म की रौशनी से रौशन करते हैं। वे अपने बच्चों को जीने का सही तरीक़ा सिखाते हैं। ये माँ बाप अच्छे माँ बाप कहलाते हैं और ये अच्छे माँ बाप तब बनते हैं जब ये आदर्श माँ बाप के उसूलों और क़ायदों का अनुसरण करते हैं।
आदर्श माँ बाप वे होते हैं जो अपने बच्चों को सही तरीक़े से केवल जीना ही नहीं बल्कि सही मक़सद के लिए और सही तरीक़े से कुरबान होना भी सिखाते हैं। ये लोग ही ज़िंदगी के सच्चे मक़सद को जानने वाले और पाने वाले होते हैं। ऐसे आदर्श माँ बाप ज़मीने के हर इलाक़े और हर दौर में हुए हैं लेकिन उनके इतिहास में लोगों ने अपनी तरफ़ से इतनी कहानियाँ मिला दी हैं कि आज उनका अनुसरण करना किसी के लिए संभव नहीं रह गया है। वाक़या ए करबला के शहीदों की माँओं और बापों का इतिहास आज भी सुरक्षित है और इंसान चाहे तो आज भी वह अपने हरेक सवाल का जवाब उनकी ज़िंदगियों से पा सकता है। उनकी बेमिसाल कुरबानियाँ उनकी सच्चाई का ज़िंदा सुबूत हैं। सच आज सबके सामने है, जो पाना चाहे इसे आसानी से पा सकता है।
विश्व विख्यात उर्दू शायर जनाब रज़ा सिरसवी साहब ने अपनी नज़्म ‘माँ‘ में उनकी कुरबानियों को पेश करके हमारे लिए उनके बारे में जानना और भी ज़्यादा आसान कर दिया है, इसके लिए हम उनके शुक्रगुज़ार हैं।
आपका भी शुक्रिया !
उनकी शहादत के दिन आलिम लोग उनकी कुरबानियों को याद करते हैं और उनके उसूलों को लोगों के सामने रखते हैं और कम इल्म लोगों को उन कामों से रोकते हैं जो कि दीन में जायज़ नहीं है जैसे कि कुछ लोग शहीदाने करबला की मुहब्बत में और उन पर तोड़े गए सितम के ग़म में संतुलित व्यवहार से हट जाते हैं और कोई आग पर चलता है और कोई खुद को छुरियाँ मार कर ज़ख्मी करने लगता है। आलिम लोग उन्हें आज भी रोकते हैं लेकिन वे नादान ही क्या , जो किसी के रोकने से रूक जाएं। ये बातें लोगों ने अपनी तरफ़ से बढ़ा ली हैं। इन्हें नज़रअंदाज़ करते हुए हमें अपनी नज़र उन उसूलों पर क़ायम रखनी चाहिए जिनकी तालीम उन माँओं और बापों ने दी, जिन्होंने हमें करबला के मैदान में अपने अमल से जीने और मरने का सही तरीक़ा सिखाया।
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/03/mother-urdu-poetry-part-2.html?showComment=1301026815087#c1823364820547670461