पोस्ट के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए ...
मैं एक जवान विधवा हूँ लोगों को मेरी हालत का कुछ तो अंदाजा करना चाहिए , मेरा जीवन और मेरी उमंगें तो मरने वाले के साथ नहीं मर गईं । मेरे रिश्तेदारों को मेरा पुनर्विवाह करना चाहिए ।मैं एक धर्म शास्त्री हूँ और एक विधवा का जेठ भी हूँ। जानते बूझते कैसे अधर्म करूँ ? कैसे विधवा विवाह पर सहमत हो जाऊँ ? कैसे घर-ज़मीन बँट जाने दूँ ? भूमि तो माँ होती है । अपनी माँ को भी भला कोई बाँटता है ?
मैं एक लड़की हूँ । हर जगह मुझे जवान ही नहीं बल्कि अधेड़ और बुड्ढे तक घूरते रहते हैं । अपने भाई के साथ निकलती हूँ तब भी ये बाज़ नहीं आते । इनके घरों में इनकी अपनी बहन और बेटियाँ नहीं हैं क्या ?
मैं एक जार हूँ । लड़कियाँ बार बार अपना दुपट्टा क्यों ठीक करती रहती हैं ? घर से बाहर निकलती हैं तो अपने भाइयों को अपने साथ क्यों टाँक लेती हैं ? इनसे अपने दिल की बात कहें तो कैसे कहें ?
मैं एक सुनार हूं । अपने ज़ेवरों को चोरों के डर से तिजोरी में रखता हूँ ।
मैं एक चोर हूँ । व्यापारियों की हिफ़ाज़त की वजह से मेरे परिवार की भूखों मरने की नौबत आ गई है ।
मैं एक सुपारी किलर हूं । आज कोई क्लाइंट क्यों नहीं आया ?
मैं एक पुलिस ऑफिसर हूँ । मेरे इलाके में जितने भी लोग गाय काटते हैं , अवैध शराब और हथियार की सप्लाई करते हैं , जुआघर और चकलाघर चलाते हैं , मिलावट करते हैं और बिना रूट परमिट के वाहन चलाते हैं , आज भी ये कमबख़्त महीने पर वही रक़म देते हैं जो दो साल पहले देते थे । कभी बढ़ाने की ख़ुद से क्यों नहीं सोचते ?
मैं एक अपहरणकर्ता हूँ । जिस मासूम बच्चे को मैंने उठाया है इसके बाप ने मेरे मना करने के बावजूद पुलिस की मदद ले ली है । अब इस बच्चे को मारना धंधे की मजबूरी है वर्ना यह पुलिस को सब बता देगा और मेरे बच्चे लावारिस हो जाएँगे जबकि यह बच्चा मरेगा तो इसका बाप दूसरा पैदा कर लेगा । वैसे भी मैं तो जनसंख्या कम करके देश की सेवा ही कर रहा हूँ । सरकार मुझे पुरस्कार देने के बजाय गिरफ्तार क्यों करना चाहती है ?
आदि आदि बहुत ही सोच के लोग समाज में रहते हैं और उनके लिए उनकी मैं ही अहम होती है ।
क्या इनमें से हरेक की मैं को सम्मान देना और उनकी सोच को सामाजिक जीवन का एक रंग मानना संभव है ?
क्या इनमें से किसी की सोच को सही और किसी की सोच को ग़लत न कहा जाएगा ?
कौन बताएगा कि किसकी सोच सही है और किसकी सोच ग़लत है ?
किसकी मैं को सम्मान दिया जाए और किसकी मैं को दंडनीय माना जाए ?
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