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रफ़्ता रफ़्ता मिटती जा रही है हर बात जो ज़ायद है मेरे वुजूद से लेकिन आज भी महक तेरी ही आती है मेरे वुजूद से By : Anwer Jamalhttp://lekhnee.blogspot.com/2011/03/blog-post.html?showComment=1300903949674#c4352572757159575692