Wednesday, February 2, 2011

सबसे बड़े लतीफ़े 'सहस्राधार चक्र' को मुस्लिम सूफ़ी 'लतीफ़ा ए उम्मुद्-दिमाग़' कहते हैं और इसे भी वे अपनी तवज्जो की बरकत से सहज ही जगा देते हैं Yoga and sufi practice

जनाब अशोक कुमार 'बिन्दु' जी ! आपका लेख अच्छा है लेकिन डा. कुंवर आनंद सुमन का कथन बिल्कुल झूठ है । पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब ने न कभी मूर्तियां बेचीं और न ही कभी शिवलिंग की उपासना की। आप उनसे हवाला मांगिए तो सही, वे अपनी बग़लें झांकने लगेंगे। ऐसे लोग अपनी झूठी पौराणिक मान्यताओं को बचाने के लिए पाक पैग़म्बरों पर भी इल्ज़ाम लगाने से बाज़ नहीं आते। आप हज़रत आदम और हज़रत मुहम्मद साहब समेत किसी भी ऋषि-नबी-वली-संत से आज भी रूहानी मुलाक़ात कर सकते हैं। आप उनसे ख़ुद पूछ सकते हैं कि जो बातें उनके बारे में कही जाती हैं , उनमें से कौन सी बात सच है और कौन सी बात झूठ ?
योगी जिसे चक्र कहते हैं , मुस्लिम सूफ़ी उसे लतीफ़ अर्थात सूक्ष्म होने के कारण लतीफ़ा कहते हैं और बहुत थोड़े अर्से में ही वे अपने मुरीद के तमाम चक्रों को जगा देते हैं। सबसे बड़े लतीफ़े सहस्राधार चक्र को वे लतीफ़ा ए उम्मुद्-दिमाग़ कहते हैं और इसे भी वे अपनी तवज्जो की बरकत से सहज ही जगा देते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि इस काम को सिर्फ़ वही कर सकता है जो कि सचमुच सूफ़ी हो । आजकल बहुत से पाखंडी उनके मेकाप में घूम रहे हैं । उनसे बचने की ज़रूरत है ये लोग ठगों में से हैं।
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हमारी वाणी पत्रिका में छपे एक लेख प्रतिक्रिया देते हुए आज हमने यह उपरोक्त टिप्पणी की है। कुछ वक़्त बाद हम बताएंगे कि सूफ़ी दर्शन क्या है ?
और वे कौन सी साधनाएं करते हैं ?
और उन्हें कौन से फल प्राप्त होते हैं ?