मैं एक योग्य आदमी हूं। आपने माना, मैं आपका शुक्रगुज़ार हूं वर्ना सलाहियतें किसी सनद की मोहताज नहीं होतीं।
जिन विषयों पर हज़ारों साल से विवाद चला आ रहा है, उन विषयों को यहां उठाया जाएगा तो विवाद का उठना स्वाभाविक है। अगर लोग ध्यान से पढ़ते ही न हों या उनमें किसी विश्लेषण की क्षमता और सुधार की आकांक्षा ही न हो तो बेशक वे ख़ामोश रहेंगे लेकिन जो आदमी ऐसा न हो और वह सच भी जानता हो तो वह ज़रूर बोलेगा।
कम योग्यता का आदमी जब अपने से ज़्यादा ज्ञानवान के मुंह में लगाम डालने की कोशिश करेगा तो उसे चैलेंज के सिवा कुछ भी सुनने को नहीं मिलेगा। उसे चाहिए कि वह चैलेंज स्वीकार करके अपनी क्षमता और पात्रता सिद्ध करे वर्ना अपने पांडित्य प्रदर्शन से बचे। हर आदमी ऐसा हिंदू नहीं होता जैसे कि वे खुद होते हैं। अभी ज़माने में अनवर जमाल जैसे हिंदू भी मौजूद हैं जिन्हें वास्तव में ‘तत्व‘ का बोध है। जो मेरा अनुसरण करेगा, उसे भी यह बोध नसीब होगा। अपने सूक्ष्म शरीर के जिन रहस्यों के बारे में उसने केवल ग्रंथों में पढ़ा है, अनवर जमाल उनकी अनुभूति उसे कराएगा। जो उस ज्ञान को जान लेगा, मौत उसे मार नहीं सकती और कोई निराशा उस पर हावी हरगिज़ हो नहीं सकती। कोई शत्रु उसे परास्त नहीं कर सकता। विजय और ऐश्वर्य उसका नसीब है , लोक में भी और परलोक में भी। जो चाहे आज़मा ले।
हाथ कंगन को आरसी की ज़रूरत कभी नहीं रही।
इसका नाम आत्मविश्वास है, जिसे लोग ग़लती से अहंकार कहते हैं।
@ बहन रेखा श्रीवास्तव जी ! आपके शुभ वचनों के लिए अनवर जमाल आपका आभारी है।
धन्यवाद !
जिन विषयों पर हज़ारों साल से विवाद चला आ रहा है, उन विषयों को यहां उठाया जाएगा तो विवाद का उठना स्वाभाविक है। अगर लोग ध्यान से पढ़ते ही न हों या उनमें किसी विश्लेषण की क्षमता और सुधार की आकांक्षा ही न हो तो बेशक वे ख़ामोश रहेंगे लेकिन जो आदमी ऐसा न हो और वह सच भी जानता हो तो वह ज़रूर बोलेगा।
कम योग्यता का आदमी जब अपने से ज़्यादा ज्ञानवान के मुंह में लगाम डालने की कोशिश करेगा तो उसे चैलेंज के सिवा कुछ भी सुनने को नहीं मिलेगा। उसे चाहिए कि वह चैलेंज स्वीकार करके अपनी क्षमता और पात्रता सिद्ध करे वर्ना अपने पांडित्य प्रदर्शन से बचे। हर आदमी ऐसा हिंदू नहीं होता जैसे कि वे खुद होते हैं। अभी ज़माने में अनवर जमाल जैसे हिंदू भी मौजूद हैं जिन्हें वास्तव में ‘तत्व‘ का बोध है। जो मेरा अनुसरण करेगा, उसे भी यह बोध नसीब होगा। अपने सूक्ष्म शरीर के जिन रहस्यों के बारे में उसने केवल ग्रंथों में पढ़ा है, अनवर जमाल उनकी अनुभूति उसे कराएगा। जो उस ज्ञान को जान लेगा, मौत उसे मार नहीं सकती और कोई निराशा उस पर हावी हरगिज़ हो नहीं सकती। कोई शत्रु उसे परास्त नहीं कर सकता। विजय और ऐश्वर्य उसका नसीब है , लोक में भी और परलोक में भी। जो चाहे आज़मा ले।
हाथ कंगन को आरसी की ज़रूरत कभी नहीं रही।
इसका नाम आत्मविश्वास है, जिसे लोग ग़लती से अहंकार कहते हैं।
@ बहन रेखा श्रीवास्तव जी ! आपके शुभ वचनों के लिए अनवर जमाल आपका आभारी है।
धन्यवाद !