Monday, February 21, 2011

कर्नल क़ज़्ज़ाफ़ी एक बदबख़्त और ज़ालिम हाकिम है लेकिन एक ज़ालिम ऐसा भी है कि जिसके सामने उसके सारे ज़ुल्म छोटे पड़ जाते हैं Ungratefull Generation

क़द्र माँ बाप की अगर कोई जान ले
अपनी जन्नत को दुनिया में पहचान ले
अमन के पैग़ाम पे भी माँ की अज़्मत को बयान किया जाना 'माँ बचाओ , मानवता बचाओ' अभियान को ही मजबूत करता है जो कि मैं 'प्यारी माँ' ब्लाग के माध्यम से चला रहा हूँ । उनकी ताजा पोस्ट 'जैसा बोओगे वैसा ही तो काटोगे' पर मैंने कहा कि
@ जनाब मासूम साहब ! आपके लेख का शीर्षक देखा तो मैंने मन बनाया था कि आज कर्नल क़ज़्ज़ाफ़ी की बदबख़्तियों पर कुछ लिखूंगा लेकिन अपनी माँ को तो वह भी सम्मान देता है । जो आदमी अपनी माँ को घर से निकाल दे वह तो कर्नल से भी बड़ा बदबख़्त है और आप कहते हैं कि लोग फिर भी उसे नेक समझते हैं तो हक़ीक़त में उन्हें नेकी और बदी की तमीज़ ही नहीं है ।

एक आमंत्रण सबके लिए
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eshvani@gmail.com
धन्यवाद !