Sunday, February 27, 2011

हे लिलीपुटो ! जो मुझे गालियाँ देते हैं , उन्हें भी अपने साझा ब्लाग HBFI का सदस्य बनाकर मैंने हिंदी ब्लाग जगत में एक ऐसा आदर्श क़ायम किया है जिसके सामने आज हरेक बड़ा ब्लागर बौना साबित हो रहा है , Anwer Jamal as Gulliver

@ 'अहसास की परतें-समीक्षा' के स्वामी ! आप ख़ुद को मेरा दुश्मन समझते हैं , मेरी निंदा करते हैं और नफ़रत में इतने अंधे हो चुके हैं कि अपनी सभ्यता खोकर आप मुझे अश्लील गालियाँ देते हैं । 'अहसास की परतें-समीक्षा' नाम से आपने एक पूरा ब्लाग ही मुझे बुरा कहने के लिए बना लिया है और उसे जिस Gmail अकाउंट से बनाया है उसमें भी आपने मेरे नाम के साथ भद्दी गाली जोड़ रखी है और इसी अकाउंट से आप हिंदी महिला पुरुष ब्लागर्स को अपने लेख का लिंक भेजते हैं और आपने झंडा उठा रखा है हिंदू धर्म का ?
हिंदू धर्म तो गालियाँ देने से रोकता है , तब आप उसका उल्लंघन करके उसकी रक्षा कैसे कर पाएँगे ?
ख़ैर , इस सबके बावजूद मैंने आपको HBFI का सदस्य बनाया है क्योंकि मैं आपसे प्यार करता हूँ ।
'हिंदी ब्लागर्स फोरम इंटरनेशनल HBFI' हिंदी ब्लागर्स की एक सम्मानित संस्था है जिसे दुनिया भर में पढ़ा जाता है । इसमें हरेक लाभकारी विषय पर आप लिख सकते हैं और दूसरों के लेखन पर बेधड़क अपनी राय भी दे सकते हैं लेकिन किसी को भी मूर्खादि नहीं कह सकते । इस साझा ब्लाग की पहली पोस्ट में ही यह नियम बता दिया गया है । भविष्य में धूर्तादि कहने की इस गलती की पुनरावृत्ति आपके द्वारा न की जाय अन्यथा आपकी सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी।
और यह भी याद रखिए कि मुझे पता है कि आप कौन हैं और कहाँ नौकरी करके लौटे हैं ?
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HBFI की पोस्ट 'ब्लाग प्रवर्तक कौन ?' पर आप मेरा यह कमेँट देख सकते हैं। इसी के साथ आप यह भी देख सकते हैं कि आज के समय में जबकि साझा ब्लाग्स के संचालक अपने विरुद्ध कोई टीका टिप्पणी बर्दाश्त नहीं करते तब भी अनवर जमाल 'निंदक नियरे राखिए आँगन कुटी छवाय' के सिद्धांत को साकार कर रहा है ।