आज मैंने LBA पर मिथिलेश दुबे जी की पोस्ट 'जब नारी शील उघड़ने लगे ' पढ़ी तो मुझे कहना पड़ा कि
@ भाई मिथिलेश दुबे जी ! आपने आजकल औरतों द्वारा शोहरत , पैसे और ऐश की ख़ातिर नंगे होकर नाचने से लेकर पूर्ण नग्न फ़िल्में बनाने तक जितनी भी बातों पर चिंता प्रकट की है , बिल्कुल जायज़ की है लेकिन आपने उसका कोई व्यवहारिक समाधान पेश नहीं किया है।
आपने पश्चिम का अंधानुकरण करने वाली , छोटे छोटे वस्त्रों में नाचने वाली आधुनिक बालाओं की निंदा की है लेकिन भारतीय सभ्यता का भी कोई काल ऐसा नहीं गुजरा जब यहाँ की बालाएं छोटे छोटे कपड़ों में न नाची हों बल्कि बिल्कुल नग्न होकर भी सब कुछ किया जा चुका है ।
मनु स्मृति कहती है कि 8-10 साल की लड़की की शादी कर दी जाए । वह यह भी कहती है कि लड़के की आयु लड़की से तीन गुना होनी चाहिए ।
गांधी जी किस प्रकार किसी को नैतिकता का उपदेश दे सकते हैं ?
जबकि वे ख़ुद अपने ब्रह्मचर्य के प्रयोग के लिए हिंदुओं की नाबालिग़ कन्याओं को नंगी करके उनके साथ सोया करते थे ।
आख़िर क्या ज़रूरत थी एक बुड्ढे को उभरती हुई जवान लड़कियों के मासूम जज़्बात पर चोट करके उनके वुजूद को गाली देने की ?
आप पूरी टिप्पणी पढ़ने के लिए देखें :
ऐसा करना बलात्कार से भी ज़्यादा गंभीर क्यों नहीं माना जाना चाहिए ?
@ भाई मिथिलेश दुबे जी ! आपने आजकल औरतों द्वारा शोहरत , पैसे और ऐश की ख़ातिर नंगे होकर नाचने से लेकर पूर्ण नग्न फ़िल्में बनाने तक जितनी भी बातों पर चिंता प्रकट की है , बिल्कुल जायज़ की है लेकिन आपने उसका कोई व्यवहारिक समाधान पेश नहीं किया है।
आपने पश्चिम का अंधानुकरण करने वाली , छोटे छोटे वस्त्रों में नाचने वाली आधुनिक बालाओं की निंदा की है लेकिन भारतीय सभ्यता का भी कोई काल ऐसा नहीं गुजरा जब यहाँ की बालाएं छोटे छोटे कपड़ों में न नाची हों बल्कि बिल्कुल नग्न होकर भी सब कुछ किया जा चुका है ।
मनु स्मृति कहती है कि 8-10 साल की लड़की की शादी कर दी जाए । वह यह भी कहती है कि लड़के की आयु लड़की से तीन गुना होनी चाहिए ।
गांधी जी किस प्रकार किसी को नैतिकता का उपदेश दे सकते हैं ?
जबकि वे ख़ुद अपने ब्रह्मचर्य के प्रयोग के लिए हिंदुओं की नाबालिग़ कन्याओं को नंगी करके उनके साथ सोया करते थे ।
आख़िर क्या ज़रूरत थी एक बुड्ढे को उभरती हुई जवान लड़कियों के मासूम जज़्बात पर चोट करके उनके वुजूद को गाली देने की ?
आप पूरी टिप्पणी पढ़ने के लिए देखें :
ऐसा करना बलात्कार से भी ज़्यादा गंभीर क्यों नहीं माना जाना चाहिए ?
Please see this link: http://rajcritic.wordpress.com/2010/07/19/gandhi-was-a-sex-maniac/
As he grew older (and following Kasturba’s death) he was to have more women around him and would oblige women to sleep with him whom – according to his segregated ashram rules – were forbidden to sleep with their own husbands. Gandhi would have women in his bed, engaging in his “experiments” which seem to have been, from a reading of his letters, an exercise in strip-tease or other non-contact sexual activity. Much explicit material has been destroyed but tantalising remarks in Gandhi’s letters remain such as: “Vina’s sleeping with me might be called an accident. All that can be said is that she slept close to me.” One might assume, then, that getting into the spirit of the Gandhian experiment meant something more than just sleeping close to him.