Monday, February 28, 2011

केवल धर्म-धर्म की रट लगाने की बजाय हिंदुओं को हिंदू धर्म के और मुसलमानों को इस्लाम के उसूलों का पालन करके देश और समाज में शांति स्थापित करनी चाहिए Good Idea

@ शाहनवाज़ भाई ! पहली बात तो आपकी यह ग़लत है कि मैं किसी पर ज़ोर ज़बर्दस्ती कर रहा हूं ।
क्या मैंने किसी की कनपटी पर पिस्टल रखी हुई है ?
मैं तो मुसलमानों से भी कहता हूँ कि अगर आप इस्लाम धर्म को सत्य मानते हैं तो किसी को मत सताओ और अपने संपर्क में आने वालों को ज्यादा से ज्यादा नफ़ा पहुँचाओ।
अपने हिंदू भाइयों से भी मैं यही कहता हूँ कि आप जिस धर्म को सत्य मानते हैं उस पर चलिए भी तो सही ।
ऐसा कहने वाले को भारत में संत और महापुरुष माना जाता है।
अब आप बताइये कि आख़िर क्यों न कहा जाए कि आप लोग जिस धर्म को मानते हैं , उसके अनुशासन का पालन भी कीजिए ?
क्या भारतवासियों को मनमाना आचरण करके बर्बाद होते चुपचाप देखता रहूँ ?
आप बताइये कि क्या एक मुसलमान पर वाजिब नहीं है कि दूसरों को जहन्नम की आग से बचाने की फ़िक्र करे?
एक व्यवस्था को सत्य मानने का दावा करने वाले अगर उस व्यवस्था का पालन नहीं करते तो फिर उसका झंडा हाथ में लेकर इस्लाम और कुरआन को कोसना छोड़ दें ।
समीक्षा सिंह ऐसा ही करते आ रहे हैं जिनका जवाब आपने खुद तो दिया नहीं और अब चाहते हैं कि मैं भी इन्हें हकीकत न बताऊं , आखिर क्यों ?
क्या केवल इन दुनिया के हवसख़ोरों से धर्म निरपेक्ष और अच्छा आदमी कहलाने के लिए ?
न तो मुझे किसी की तारीफ की जरूरत है और न ही मुझे अपनी छवि खराब होने का ही कोई डर है ।
.......
भाई शाहनवाज़ साहब ने
http://hbfint.blogspot.com
पर मुझ पर ऐतराज जताया तो मैंने उन्हें यह जवाब दिया है ।