हिंदी चिंतका शिखा कौशिक जी की पोस्ट 'गारंटी दीजिए कि रावण ने सीता माता का हरण उनके परिधान देखकर किया था'
पर शिखा कौशिक 'नूतन ' की गारंटी दीजिये रचना पढ़ी और उस पर डाक्टर श्याम गुप्ता जी का कमेँट भी पढ़ा तो हमें कहना पड़ा कि
कमबख़्तो ! सीता माता को इल्ज़ाम न दो
@ शिखा जी ! सबसे पहले तो मैं आपको मुबारकबाद देना चाहता हूँ एक अच्छी पोस्ट ब्लाग जगत को देने के लिए और निंदा करता हूँ उन लोगों की जो औरत को समाज में कमज़ोर और मर्द का ग़ुलाम देखना चाहते हैं जैसे कि हिंदू सभ्यता के जानकार श्री श्याम गुप्ता जी औरत को समाज में दोयम दर्जे पर देखना ही नहीं चाहते बल्कि रखे हुए भी हैं ।
इसके बाद मैं यह कहना चाहता हूँ कि हमारे समाज और हमारे क़ानून ने लड़कियों को यह अधिकार दे रखा है कि वे अपनी मर्ज़ी से कपड़े पहन ही नहीं सकतीं बल्कि उतार भी सकती हैं ।
गाँव का समाज अपनी ज़रूरतों के हिसाब से चलता है और चाहता है कि जहाँ तक हो सके सीता सुरक्षित रहे ।
श्याम जी ने मेरी सीता माता को मर्यादा का उल्लंघन करने वाली कहकर महापाप किया है ।
'हा लक्ष्मण !' की आवाज़ सुनकर उन्होंने वही किया जो सिर्फ़ एक ऐसी औरत ही कर सकती है जिसे अपने पति से अपने प्राणों से भी ज़्यादा प्यार हो ।
अफ़सोस ! श्री श्याम जी डाक्टर होने के बावजूद सीता माता के त्याग और बलिदान को न समझ पाए।
इन बातों की समझ सिर्फ़ अनवर जमाल जैसे मुसलमानों को ही होती है।