भय्या तारकेश्वर गिरी जी ! आप शिव सैनिक से तो वैसे ही मशहूर हो ऐसे में तो भाभी जी की भी हिम्मत नहीं होती आपको लाल गुलाब देने की ।
लेकिन कविता आपकी अच्छी है।
भाभी जी को तब सुनाना जब लाइट भागी हुई हो ।
आपके 5 रुपये खर्च हो ही जाएँगे क्योंकि ख़ाँ साहब की तरह आप सोचते नहीं ।
शुभकामनाएं ।