Tuesday, May 10, 2011

सारी ज़मीन एक प्रेतलोक बन चुकी है Ghostland

आप असीमा बहन की पोस्ट पर जायेंगे तो आपको वहां मेरा यह कमेंट नज़र आएगा : 


@ असीमा, मेरी बहन ! यह दुनिया ख़ुदग़र्ज़ और अहसान फ़रामोश है। इसके पूंजीपति भी ऐसे ही हैं और इसके ग़रीब भी ऐसे ही हैं। आपके आदरणीय पिता जी ने अपनी नैतिक चेतना के प्रभाव में आकर जो कुछ किया, वह अपनी जगह दुरूस्त है। किसी के मानने या उसे नकारने से उसके सही होने में कोई अंतर नहीं आएगा और न ही आपके पिता की महानता में कोई कमी-बेशी होगी। जो भी नेकी और सच्चाई की राह पर चला है, आर्थिक रूप से वह अपने साथियों से पिछड़ता ही गया और अंत में उसे वह जनता भी भुला देती है, जिसके लिए वह लड़ता है।
जलियां वाला बाग़ में गोलियां खाने वालों को इस देश के नेता और जनता भुला चुके हैं, आपके पिता के साथ भी यही किया जा रहा है और देशसेवा करने वालों के साथ हमेशा यही किया जाएगा। यह एक सच है। 
आपके मन की पीड़ा को मैं समझ सकता हूं। जो लोग कंधों पर उठाए जाने के लायक़ हों, उन्हें यूं नज़रअंदाज़ करने का मतलब है कि आगे से कोई भी ऐसा बलिदान नहीं करेगा और अगर करेगा तो उसका अंजाम भी यही होगा। जितने पढ़े-लिखे लोग हैं, वे इस सच्चाई से वाक़िफ़ हैं, इसीलिए वे 90 प्रतिशत भ्रष्ट हो चुके हैं। नेकी का बदला दुनिया कभी किसी को दे ही नहीं पाई, बदला तो सिर्फ़ वह मालिक ही देता है जिसने बंदे को पैदा किया और उसे नेकी की प्रेरणा दी है। दुनिया की सामूहिक नैतिक चेतना मृत प्रायः है, केवल शरीर ज़िंदा हैं। सारी ज़मीन एक प्रेतलोक बन चुकी है। इन प्रेतों के पास शरीर भी है। लगभग सभी भटक रहे हैं। सत्य और न्याय से तो बहुत कम मतलब रह गया है। हरेक आदमी ऐश करना चाहता है और समृद्ध होना चाहता है। 
<b>जो भी नेकी सच्चे मालिक को भुलाकर की जाती है, वह हसरत और अफ़सोस के सिवा कुछ और नहीं दे पाती।</b> आपके आदरणीय पिता जी के द्वारा जो भी सत्य आप पर प्रकट हुआ है, उसे आप एक और महानतर सत्य को पाने का माध्यम बना लेंगी तो आपके मन की दुनिया में शिकायत और मायूसी के अंधेरों के बीच एक नई आशा का सूरज उगेगा। मुझे यह उजाला हासिल है, आपको भी मैं यही भेंट करता हूं। 
आपके लिए और आपके आदरणीय पिता जी के लिए मैं पालनहार से विशेष प्रार्थना करूंगा।
धन्यवाद !