Saturday, September 3, 2011

नफ़रत दिल में रखने के बाद आप किसी भी सच्चाई को नहीं समझ सकते

आज एक भाई का लेख पढ़ा जो वास्तव में एक ग़ैर मुस्लिम भाई हैं लेकिन दावा करते हैं कि उन्होंने देवबंद के मदरसे से क़ुरआन और हदीस की तालीम हासिल की है और उनका हाल यह है कि इस्लाम की पारिभाषिक शब्दावली को भी ठीक से नहीं लिख सकते।
एक पोस्ट में उन्होंने वाक़या ए मैराज पर ऐतराज़ जताया है और पैग़ंबर साहब स. को सताने वाले ज़ालिमों को सत्य का पुजारी घोषित कर दिया है।
यह हिंदी ब्लॉगिंग है, यहां कोई भी ब्लॉगर कुछ भी कर सकता है लेकिन हक़ीक़त यह होती है कि वे दूसरों का तो क्या अपना भी भला नहीं कर सकते। जो सत्य को असत्य कह दे नफ़रत की वजह से, उसका भला तब तक हो भी नहीं सकता जब तक कि वह नफ़रत को दिल से निकाल न दे।
हमने उनसे कहा कि 
एस. प्रेम जी ! आपके लहजे से इस्लाम और इस्लाम के पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद साहब सल्ल. के लिए कितनी घोर घृणा टपक रही है, इसे हरेक पाठक पहली ही नज़र में जान लेता है।
इस तरह घृणा दिल में रखने के बाद आप किसी भी सच्चाई को नहीं समझ सकते।
मैराज हज़रत मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को पेश आई। उसे बेशक आपने नहीं देखा और आप क़ुबूल भी कर सकते हैं और इंकार भी कर सकते हैं लेकिन हज़रत मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अरब समाज में बिना सूद क़र्ज़ के लेन देन की व्यवस्था की जो कि आज भी दुनिया के सबसे विकसित देश अपने नागरिकों के लिए नहीं कर पाए हैं।
उन्होंने लड़कियों के जीवित गाड़े जाने की प्रथा का पूरी तरह ख़ात्मा कर दिया।
लोगों को ग़ुलाम आज़ाद करने की प्रेरणा दी।
ग़रीबों और ज़रूरतमंदों का हक़ मालदारों के माल में मुक़र्रर किया जिसे मुसलमान आज उनके जाने के लगभग 1400 साल बाद भी निभा रहा है।
इस तरह के बहुत से काम उनके जीवन में देखे जा सकते हैं।
इन कामों को दुनिया के जिस चिंतक ने भी देखा, उसी ने सराहा।
लेकिन आपने इन सब कामों को नज़रअंदाज़ कर दिया।
जैसे ये काम कुछ भी हैसियत न रखते हों।
ऐसा काम वही आदमी करता है जिसके दिल में कूट कूट कर नफ़रत भरी हो और जिसे सत्य की तलाश न हो।
जिन लोगों ने मुहम्मद साहब को उनके शहर में तरह तरह से तकलीफ़ें बिना बात दीं और फिर मक्का से निकाल दिया, उन्हें आपने सत्य का पुजारी घोषित कर दिया ?
अगर ये सत्य के पुजारी थे तो फिर ये सत्य से क्यों फिर गए और थोड़े दिन बाद ही मुसलमान हो गए। पूरा मक्का ही मुसलमान हो गया और आज तक वहां मुसलमान ही हैं और आज भी वहां बिना सूद के ही लेन देन होता है और ज़कात का सिस्टम आज भी क़ायम है।
आप ख़ुद को ज़्यादा लायक़ समझते हैं तो इससे बेहतर व्यवस्था इस देश में या कम से कम अपने गांव देहात में ही स्थापित करके दिखाएं।
मालिक आप पर दया करे,

आमीन !
आप शिक्षित और सभ्य हैं। ज्ञान की बात के अवसर पर इस तरह अज्ञान की बातें करना महान आर्य परंपरा पर कलंक लगाना है। अतः आपसे हमारी विनम्र विनती है कि हमारा काम आपसी नफ़रतों को मिटाना है और इसके लिए आपस में एक दूसरे की परंपराओं और मान्यताओं को जानना बहुत ज़रूरी है। हमारे स्वभाव को समझने के लिए आप यह पोस्ट देखिए
हमारा यह प्रयास कैसा लगा ?
आप भी बताइयेगा।
देखिए अलग-अलग लेखकों के कुछ लिंक्स :
1- अच्छी टिप्पणियाँ ही ला सकती हैं प्यार की बहार Hindi Blogging Guide (22)
http://hbfint.blogspot.com/2011/08/hindi-blogging-guide-22.html

2- औरत हया है और हया ही सिखाती है , ‘स्लट वॉक‘ के संदर्भ में
http://hbfint.blogspot.com/2011/08/blog-post_5673.html 
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Thursday, September 1, 2011

लगा दीजिए मंदिरों का माल दलितों और ग़रीब द्विजों के विकास में Masjid E Rasheed, Deoband

देवबंद की मस्जिद ए रशीद
ईद के मौक़े पर हमने देवबंद के बारे में एक पोस्ट लिखी और कहा कि

हिंदू मुस्लिम की मुहब्बत का ताजमहल है देवबंद


लेकिन जो लोग हिन्दू मुस्लिम के प्रेम के दुश्मन हैं, ऐसे मौक़ों पर वे ज़रूर आते हैं। कुछ शरारती तत्व आ गए और पोस्ट के विषय से हटकर क़ुरआन में कमियां बताने लगे।
देखिए उनके ऐतराज़ और हमारे जवाब इस लिंक पर
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/BUNIYAD/entry/%E0%A4%B9-%E0%A4%A6-%E0%A4%AE-%E0%A4%B8-%E0%A4%B2-%E0%A4%AE-%E0%A4%95-%E0%A4%AE-%E0%A4%B9%E0%A4%AC-%E0%A4%AC%E0%A4%A4-%E0%A4%95-%E0%A4%A4-%E0%A4%9C%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B2-%E0%A4%B9-%E0%A4%A6-%E0%A4%B5%E0%A4%AC-%E0%A4%A6
भंडाफोड़ू उर्फ बी.एन. शर्मा जी ! ब्लॉगस्पॉट के हमारे ब्लॉग पर तो आपकी आने की कभी हिम्मत नहीं हुई और आप यहां चले आते हैं, ऐसा अन्याय क्यों ?
क़ुरआन में युद्ध के आदेश पर आपके ऐतराज़ को फ़िज़ूल बता रहे हैं स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य जी ।
देखिए उनके कथन का एक अंश और लिंक पर जाकर पढ़िए पूरी किताब।
आपके आने से हम बहुत ख़ुश हैं और इस ख़ुशी का कारण आप ही जैसे विद्वान जान भी सकते हैं। वर्ना हम तो पिछले कई महीनों से बोर हो रहे थे।
आपका सादर धन्यवाद !
स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य जी का महान शोध
मायाभिरिन्द्र मायिनं त्वं शुष्णमवातिर : ।
विदुष्टं तस्य मेधिरास्तेषां ॠवांस्युत्तिर ॥
-ऋग्वेद , मण्डल 1 , सूक्त 11 , मन्त्र 7
भावार्थ - बुद्धिमान मनुष्यों को इश्वर आदेश देता है कि -
साम , दाम, दण्ड , और भेद की युक्त से दुष्ट और शत्रु जनों का नाश करके विद्या और चक्रवर्ती राज्य कि यथावत् उन्नति करनी चाहिये तथा जैसे इस संसार में कपटी , छली और दुष्ट पुरुष वृद्धि को प्राप्त न हों , वैसा उपाय निरंतर करना चाहिये ।
-हिंदी भाष्य महर्षि दयानंद
अत: पैम्फलेट में दी गयी आयतें अल्लाह के वे फ़रमान हैं , जिनसे मुस्लमान अपनी व एकेश्वरवादी सत्य धर्म इस्लाम की रक्षा कर सके । वास्तव में ये आयतें व्यवाहरिक सत्य हैं । लेकिन अपने राजनितिक फायदे के लिए कुरआन मजीद की इन आयतों की ग़लत व्याख्या कर उन्हें जनता के बीच बंटवा कर कुछ स्वार्थी लोग , मुसलमानों व विभिन्न धर्मावलम्बियों के बीच क्या लड़ाई-झगडा करने व घृणा फैलाने का बीज बो नहीं रहे ?

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भंडाफोड़ू उर्फ बी.एन. शर्मा जी ! सोमनाथ के बारे में मुख़बिरी भी तो पंडों ने माल के बंटवारे के लालच में ही की थी ग़ज़नी जाकर महमूद ग़ज़नवी से। वर्ना उसे क्या सपना आ रहा था कि सोमनाथ के मंदिर में इतना बड़ा ख़ज़ाना है जिस पर पंडे ऐश मार रहे हैं।
उसने ग़लत काम किया है लेकिन ग़रीब लोग तो यही कहेंगे कि अगर वह उस ख़ज़ाने को (ग़ज़नी की) आर्य प्रजा के विकास में न लगाता तो वह धन भी केरल के पदमनाभ मंदिर की तरह ही ब्लॉक पड़ा रहता।
आपकी आमदनी पर चोट पड़ी तो आपका चिल्लाना वाजिब है।
हम आपकी पीड़ा समझते हैं।
अब सुधार लीजिए अपनी ग़लतियां और लगा दीजिए मंदिरों का माल हरिजनों और दलितों और ग़रीब द्विजों के विकास में, वर्ना कोई न कोई आकर यह भी लूट लेगा।
लुटेरों को आधा दोष दीजिए और आधा दोष ख़ुद पर भी लगाइये। 
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प्यारे भाई शरद जी ! आपकी ईद की मुबारकबाद हमें दिल से क़ुबूल हैं।
देखिए हम किसी पर सवार नहीं हैं और न ही यहां किसी के ब्लॉग पर जाकर हम आपत्ति कर रहे हैं। इसके बावजूद हमारे ब्लॉग पर लोग आकर मज़ाक़ उड़ा रहे हैं इस्लाम का , ऐसा क्यों ?
हमने ईद के संबंध में एक अच्छी पोस्ट लिखी है और इसमें किसी के धर्म की कोई निंदा नहीं है।
क्या किसी को हक़ बनता है कि वह इतनी साफ़ सुथरी पोस्ट पर आकर ऐतराज़ करे ?
और जब कोई ऐतराज़ करता है तो भी हम चुप रह जाते हैं लेकिन फिर वे लोग बार बार आग्रह करते हैं कि हमें जवाब दो।
ऐसे में हम क्या करें ?

...और सत्य तो वही देखेगा जो निष्पक्ष होकर विचार करेगा।

Saturday, August 13, 2011

हमारे बेटे अमन ख़ान की पैदाइश पर Welcome And Prayer

ब्लॉगर के बेटे के जन्म का चर्चा Amn Khan
अच्छाई और बुराई, दोनों ही ख़सलतें हरेक इंसान के अंदर मौजूद होती हैं।
समाज में अमन तब आएगा जब इंसान के अंदर ईमान आएगा, ईमानदारी आएगी।
ईमानदारी की पहली पहचान यह है कि इंसान जिस बात को अपने लिए पसंद करे , दूसरों के लिए भी वही बात पसंद करे।
जो आदमी किसी को दो बोल शुभकामनाओं के भी न दे सके, वह दूसरों को कुछ और भला क्या दे सकता है ?
...हम ख़ुशनसीब हैं कि हमारे बेटे अमन खान की पैदाइश पर मासूम साहब को ख़ुशी हुई और उन्होंने एक लेख लिखकर अपनी ख़ुशी में बहुत से लोगों को शरीक किया और उन्होंने हमारे बेटे को अपना प्यार और आशीर्वाद दिया। कुछ भाई बहनों ने दूसरी पोस्ट्स पर भी अपनी नेक ख्वाहिशात का इज़्हार किया है।
इसके लिए हम अमन से प्यार करने वाले सभी भाई बहनों के तहे दिल से शुक्रगुज़ार हैं।
अल्लाह हम सबको अमन की राह चलाए और हमारी नस्लों को इसी राह का वारिस बनाए,
आमीन ! 
See my comment : 
http://www.amankapaigham.com/2011/08/blog-post_10.html?showComment=1313279550196#c4068502343906902771

Thursday, July 14, 2011

‘इस्लामी आतंकवाद‘ एक ग़लत शब्द है Terrorism or Peace, What is Islam

इस्लामी आतंकवाद यह एक शब्द है जिसे पश्चिम के सूदख़ारों ने इस्लाम को बदनाम करने के लिए दिया और दुनिया भर के सूदख़ोरों ने इसे दुहराया। यह लेख पढ़कर पता चला कि दीन की सही समझ न रखने वाले ऐसे लोग भी इसकी चपेट में आ गए हैं जिनके नाम मुसलमानों जैसे हैं। हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु और उनके परिजनों को करबला में ज़ालिमाना तरीक़े से क़त्ल कर डाला गया। इन ज़ालिमों में हुकूमत के लालची यज़ीद के सैनिक भी थे और वे दग़ाबाज़ भी थे जिन्होंने ख़त लिखकर आली मक़ाम इमाम हुसैन रज़ि. को बुलाया था। नबी स. और औलादे नबी से मुहब्बत ईमान का लाज़िमी तक़ाज़ा और उसकी एक लाज़िमी अलामत है। ये ज़ालिम इस मुहब्बत से बिल्कुल ख़ाली थे। इनके अमल को आज तक दुनिया के किसी भी आलिम ने ‘इस्लामी अमल‘ नहीं कहा। दग़ाबाज़ों का कोई भी अमल कभी इस्लामी नहीं होता।
हज़रत मुहम्मद स. ने फ़रमाया है कि
‘जो धोखा दे वह हम में से नहीं है।‘

क़ातिलाने हुसैन का धोखा जगज़ाहिर है। उनके अमल को सिर्फ़ आतंकवाद कहा जाना उचित है।
इस्लाम क्या है ?
यह इमाम हुसैन रज़ि. की ज़िंदगी से जानने की ज़रूरत है।
‘इस्लाम‘ का एक अर्थ सलामती और शान्ति है।
‘इस्लामी आतंकवाद‘ का अनुवाद होता है ‘शान्तिवादी आतंकवाद‘।
क्या दुनिया में ‘शान्तिवादी आतंकवाद‘ संभव है ?
जहां शान्ति होगी वहां आतंकवाद नहीं हो सकता और जहां आतंकवाद होगा वहां शान्ति नहीं हो सकती।
अतः ‘इस्लामी आतंकवाद‘ एक ग़लत शब्द है। अपने खंडन के लिए यह शब्द ख़ुद ही गवाह है।
लेखक को इस बात पर संजीदगी से विचार करना चाहिए।

Tuesday, June 7, 2011

वंदे मातरम् गाने मात्र से आदमी में वीरता और बलिदान की भावना नहीं आ जाती वर्ना बाबा रामदेव जी में ये गुण ज़रूर आ चुके होते



आपने सच कहा हमारे बाबा भोले-भाले हीरो हैं और कपिल जी हैं खलनायक सनम बेवफ़ा के डैनी जैसे ।
कपिल जी के लिए हम निम्न कहावतें नहीं कह सकते:

1. कौआ चला हंस की चाल और वह अपनी भी भूल गया ।
2. सियार का रंग उतर गया तो उसकी हक़ीक़त खुल गई।
3. अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान ।

अगर ये कहावतें कपिल जी पर फ़िट नहीं बैठतीं तो फिर आप उन्हें ज़िम्मेदार भी नहीं ठहरा सकते लेकिन फिर भी हमें मानना चाहिए कि बाबा भोले हैं । आज भी जब उन्हें नींद नहीं आती तो आश्रम की औरतें उन्हें कपिल जी का नाम लेकर सुला देती हैं बिल्कुल शोले स्टाइल में लेकिन बाबा हैं कि ठीक डेढ़ बजे जाग जाते हैं और छलाँगे लगाने लगते हैं । अब निजी ख़र्चे पर दो चार लेडीज़ सूट के साथ एक बुरक़े का ऑर्डर भी उन्होंने दिया है । ऐसी अफ़वाह सुनने में आ रही है।
बाबा को अच्छा कहो और कपिल जी को बुरा , यह नीति ठीक है । जो ऐसा करेगा उसे ठुमकती बुढ़िया वर्ग लाइक करेगा , श्योर।
आपके टोटके भी ग़ज़ब के हैं साहब । आप वही बोलते हैं जो लोग सुनना चाहते हैं । जबकि हम वह कहते हैं जो हम कहना चाहते हैं।
और हम यह कहना चाहते हैं कि वंदे मातरम् गाने मात्र से आदमी में वीरता और बलिदान की भावना नहीं आ जाती वर्ना बाबा रामदेव जी में ये गुण ज़रूर आ चुके होते।

Monday, June 6, 2011

जनता ‘मानवता के आदर्श‘ को पहचानना सीखे और उसका अनुसरण भी करे। तभी उसे ऐसे नेता मयस्सर आएंगे जो उसे ‘सीधी राह‘ दिखांएगे - Dr. Anwer Jamal

हालात ख़राब हैं मालिक सबका भला करे और हमारे मुल्क में अम्नोअमान  बना रहे , बस यही दुआ है हमारी  
भाई साहब ! पहले भी कई बार हाशिए पर जा चुकी है कांग्रेस लेकिन जो लोग उसकी जगह लेते हैं वही फिर से उसके आने का मार्ग तैयार करते हैं। इस तरह ये सभी दल एक के बाद एक सत्ता का सुख लेते रहते हैं। जनता को किसी बेईमान से राहत मिलने वाली नहीं है क्योंकि जनता नेकी के उसूलों पर चलने के लिए ही तैयार नहीं है। जनता तो गुटखा, तंबाकू और शराब में पहले खरबों रूपये ख़र्च करती है और फिर शीला की जवानी जैसे अश्लील गानों पर नाचती झूमती है और कैंसर और एड्स की मरीज़ होकर दुख भोग कर मर जाती है। 
नेक लोग इन लुच्चे-टुच्चे लोगों में ऐसे पिसते रहते हैं जैसे कि गेहूं के साथ घुन। 
आज जिसे देखिए वही नेता बना घूम रहा हो चाहे उनमें राजनेताओं की कुटिल चाल समझने के लायक़ अक्ल न हो। अन्ना हज़ारे और बाबा रामदेव इसके ज़िन्दा उदाहरण हैं। ये तो फिर भी ग़नीमत हैं लेकिन आजकल तो वेश्याएं और समलैंगिक तक नेता बने घूम रहे हैं और देश को दिशा देने में लगे हैं।
अरे भाई ! नेता बनने के लिए कुछ योग्यता होना ज़रूरी है कि नहीं या पीछे भीड़ इकठ्ठी हुई नहीं और खड़े हो गए नेता बनकर ?
जनता की समस्याओं का समाधान तभी मुमकिन है जबकि वह ‘मानवता के आदर्श‘ को पहचानना सीखे और उसका अनुसरण भी करे। तभी उसे ऐसे नेता मयस्सर आएंगे जो उसे ‘सीधी राह‘ दिखांएगे।
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/06/baba-ramdev-ji.html?showComment=१३०७३९९७२८३५७

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http://akhtarkhanakela.blogspot.com/2011/06/blog-post_2798.html?showComment=1307418601107#c4638248580970462366

Sunday, June 5, 2011

BJP and Congress have same character. 'जैसा भूतनाथ वैसा प्रेतनाथ'

हमारी नज़र में तो जैसा भूतनाथ वैसा प्रेतनाथ ।
शासन तो BJP का भी आया था ।

1. क्या उसने लोकपाल बिल मंज़ूर कराया ?

2. क्या वह विदेशों से काला धन वापस लाई ?

आज अपने वोट बैंक खो देने के डर से ये बाबा का साथ दे रहे हैं । जो इनके ख़िलाफ़ नहीं बोलता , उसे क्या उपाधि दी जाएगी ?

अनवर जमाल बोलता है सच और ग़द्दार सच कभी सुनता नहीं ।

टिप्पणी सुरक्षित कर ली गई है । यहाँ से हटेगी तो वाटिका में लगेगी ।

वंदे ईश्वरम्
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और फिर सचमुच ऐसा हुआ कि आदरणीय प्रोफ़ेसर पी. के. मिश्रा जी सच को सहन नहीं कर पाए और अपने विरूद्ध समझकर उन्होंन इस टिप्पणी को अपने ब्लॉग हरी धरती से मिटा डाला।
लेकिन सच कभी मिटता नहीं है। कमेंट गार्डन यही सिद्ध करता है।