Monday, June 6, 2011

जनता ‘मानवता के आदर्श‘ को पहचानना सीखे और उसका अनुसरण भी करे। तभी उसे ऐसे नेता मयस्सर आएंगे जो उसे ‘सीधी राह‘ दिखांएगे - Dr. Anwer Jamal

हालात ख़राब हैं मालिक सबका भला करे और हमारे मुल्क में अम्नोअमान  बना रहे , बस यही दुआ है हमारी  
भाई साहब ! पहले भी कई बार हाशिए पर जा चुकी है कांग्रेस लेकिन जो लोग उसकी जगह लेते हैं वही फिर से उसके आने का मार्ग तैयार करते हैं। इस तरह ये सभी दल एक के बाद एक सत्ता का सुख लेते रहते हैं। जनता को किसी बेईमान से राहत मिलने वाली नहीं है क्योंकि जनता नेकी के उसूलों पर चलने के लिए ही तैयार नहीं है। जनता तो गुटखा, तंबाकू और शराब में पहले खरबों रूपये ख़र्च करती है और फिर शीला की जवानी जैसे अश्लील गानों पर नाचती झूमती है और कैंसर और एड्स की मरीज़ होकर दुख भोग कर मर जाती है। 
नेक लोग इन लुच्चे-टुच्चे लोगों में ऐसे पिसते रहते हैं जैसे कि गेहूं के साथ घुन। 
आज जिसे देखिए वही नेता बना घूम रहा हो चाहे उनमें राजनेताओं की कुटिल चाल समझने के लायक़ अक्ल न हो। अन्ना हज़ारे और बाबा रामदेव इसके ज़िन्दा उदाहरण हैं। ये तो फिर भी ग़नीमत हैं लेकिन आजकल तो वेश्याएं और समलैंगिक तक नेता बने घूम रहे हैं और देश को दिशा देने में लगे हैं।
अरे भाई ! नेता बनने के लिए कुछ योग्यता होना ज़रूरी है कि नहीं या पीछे भीड़ इकठ्ठी हुई नहीं और खड़े हो गए नेता बनकर ?
जनता की समस्याओं का समाधान तभी मुमकिन है जबकि वह ‘मानवता के आदर्श‘ को पहचानना सीखे और उसका अनुसरण भी करे। तभी उसे ऐसे नेता मयस्सर आएंगे जो उसे ‘सीधी राह‘ दिखांएगे।
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