Thursday, September 1, 2011

लगा दीजिए मंदिरों का माल दलितों और ग़रीब द्विजों के विकास में Masjid E Rasheed, Deoband

देवबंद की मस्जिद ए रशीद
ईद के मौक़े पर हमने देवबंद के बारे में एक पोस्ट लिखी और कहा कि

हिंदू मुस्लिम की मुहब्बत का ताजमहल है देवबंद


लेकिन जो लोग हिन्दू मुस्लिम के प्रेम के दुश्मन हैं, ऐसे मौक़ों पर वे ज़रूर आते हैं। कुछ शरारती तत्व आ गए और पोस्ट के विषय से हटकर क़ुरआन में कमियां बताने लगे।
देखिए उनके ऐतराज़ और हमारे जवाब इस लिंक पर
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/BUNIYAD/entry/%E0%A4%B9-%E0%A4%A6-%E0%A4%AE-%E0%A4%B8-%E0%A4%B2-%E0%A4%AE-%E0%A4%95-%E0%A4%AE-%E0%A4%B9%E0%A4%AC-%E0%A4%AC%E0%A4%A4-%E0%A4%95-%E0%A4%A4-%E0%A4%9C%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%B2-%E0%A4%B9-%E0%A4%A6-%E0%A4%B5%E0%A4%AC-%E0%A4%A6
भंडाफोड़ू उर्फ बी.एन. शर्मा जी ! ब्लॉगस्पॉट के हमारे ब्लॉग पर तो आपकी आने की कभी हिम्मत नहीं हुई और आप यहां चले आते हैं, ऐसा अन्याय क्यों ?
क़ुरआन में युद्ध के आदेश पर आपके ऐतराज़ को फ़िज़ूल बता रहे हैं स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य जी ।
देखिए उनके कथन का एक अंश और लिंक पर जाकर पढ़िए पूरी किताब।
आपके आने से हम बहुत ख़ुश हैं और इस ख़ुशी का कारण आप ही जैसे विद्वान जान भी सकते हैं। वर्ना हम तो पिछले कई महीनों से बोर हो रहे थे।
आपका सादर धन्यवाद !
स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य जी का महान शोध
मायाभिरिन्द्र मायिनं त्वं शुष्णमवातिर : ।
विदुष्टं तस्य मेधिरास्तेषां ॠवांस्युत्तिर ॥
-ऋग्वेद , मण्डल 1 , सूक्त 11 , मन्त्र 7
भावार्थ - बुद्धिमान मनुष्यों को इश्वर आदेश देता है कि -
साम , दाम, दण्ड , और भेद की युक्त से दुष्ट और शत्रु जनों का नाश करके विद्या और चक्रवर्ती राज्य कि यथावत् उन्नति करनी चाहिये तथा जैसे इस संसार में कपटी , छली और दुष्ट पुरुष वृद्धि को प्राप्त न हों , वैसा उपाय निरंतर करना चाहिये ।
-हिंदी भाष्य महर्षि दयानंद
अत: पैम्फलेट में दी गयी आयतें अल्लाह के वे फ़रमान हैं , जिनसे मुस्लमान अपनी व एकेश्वरवादी सत्य धर्म इस्लाम की रक्षा कर सके । वास्तव में ये आयतें व्यवाहरिक सत्य हैं । लेकिन अपने राजनितिक फायदे के लिए कुरआन मजीद की इन आयतों की ग़लत व्याख्या कर उन्हें जनता के बीच बंटवा कर कुछ स्वार्थी लोग , मुसलमानों व विभिन्न धर्मावलम्बियों के बीच क्या लड़ाई-झगडा करने व घृणा फैलाने का बीज बो नहीं रहे ?

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भंडाफोड़ू उर्फ बी.एन. शर्मा जी ! सोमनाथ के बारे में मुख़बिरी भी तो पंडों ने माल के बंटवारे के लालच में ही की थी ग़ज़नी जाकर महमूद ग़ज़नवी से। वर्ना उसे क्या सपना आ रहा था कि सोमनाथ के मंदिर में इतना बड़ा ख़ज़ाना है जिस पर पंडे ऐश मार रहे हैं।
उसने ग़लत काम किया है लेकिन ग़रीब लोग तो यही कहेंगे कि अगर वह उस ख़ज़ाने को (ग़ज़नी की) आर्य प्रजा के विकास में न लगाता तो वह धन भी केरल के पदमनाभ मंदिर की तरह ही ब्लॉक पड़ा रहता।
आपकी आमदनी पर चोट पड़ी तो आपका चिल्लाना वाजिब है।
हम आपकी पीड़ा समझते हैं।
अब सुधार लीजिए अपनी ग़लतियां और लगा दीजिए मंदिरों का माल हरिजनों और दलितों और ग़रीब द्विजों के विकास में, वर्ना कोई न कोई आकर यह भी लूट लेगा।
लुटेरों को आधा दोष दीजिए और आधा दोष ख़ुद पर भी लगाइये। 
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प्यारे भाई शरद जी ! आपकी ईद की मुबारकबाद हमें दिल से क़ुबूल हैं।
देखिए हम किसी पर सवार नहीं हैं और न ही यहां किसी के ब्लॉग पर जाकर हम आपत्ति कर रहे हैं। इसके बावजूद हमारे ब्लॉग पर लोग आकर मज़ाक़ उड़ा रहे हैं इस्लाम का , ऐसा क्यों ?
हमने ईद के संबंध में एक अच्छी पोस्ट लिखी है और इसमें किसी के धर्म की कोई निंदा नहीं है।
क्या किसी को हक़ बनता है कि वह इतनी साफ़ सुथरी पोस्ट पर आकर ऐतराज़ करे ?
और जब कोई ऐतराज़ करता है तो भी हम चुप रह जाते हैं लेकिन फिर वे लोग बार बार आग्रह करते हैं कि हमें जवाब दो।
ऐसे में हम क्या करें ?

...और सत्य तो वही देखेगा जो निष्पक्ष होकर विचार करेगा।