आपका-अख्तर खान "अकेला": गोपलागढ़ का भूत सरकार का पीछा नहीं छोड़ रहा है
पर एक टिप्पणी
कमज़ोरों के साथ यही सुलूक होता है।
जुर्म अपना है कि बंट कर कमज़ोर क्यों हुए ?
मौलाना फ़ज़्ले हक़ को कोशिश करनी चाहिए कि उलमा ए इसलाम मिल्लत के साझा मसाएल हल करने के लिए मसलकी फ़िरक़ावारियत से हटकर सोचें। पूरे मुल्क में अपना एक अमीर बनाएं और अवाम को बताएं कि उन पर हुक्म ए ख़ुदा की इत्तबा वाजिब है।
उलमा के एक होते ही अवाम एक हो जाएगी और आप के एक होते ही हरेक ताक़त सज्दे में गिर पड़ेगी।
दुनिया में ताक़तवर ही राज करता है।
ताक़त हासिल कीजिए,
शिकायतों की सुनवाई यहां कम होती है।