अपना विश्लेषण करें दूसरों का विश्लेषण करने वाले LBA पदाचारी
@ शिव शंकर जी ! आपका शुक्रिया शुभकामनाएं देने के लिए । आपने यहाँ टिप्पणी देकर मिथिलेश दुबे जी के बहिष्कार की अपील पर ठोकर मार कर एक प्रशंसनीय काम किया है । आपकी निष्पक्षता की रौशनी में LBA के पदाधिकारियों का तास्सुब बेनक़ाब हो गया है । ये लोग पक्षपात और नफ़रत में इतने अंधे हो चुके हैं कि ये 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्व पर भी एक मुसलमान की पोस्ट पर आने के लिए तैयार नहीं है जबकि पोस्ट भी ऐसी है जिसमें देश और समाज की भलाई के लिए सबसे कहा गया है कि 'आप अपने आप को क़ायदे-क़ानून का पाबंद बनाईये ।'
1. क्या इस पोस्ट का बहिष्कार करके ये लोग अपनी मूढ़ता और संकीर्णता का परिचय नहीं दे रहे है ?
2. जब ये लोग राष्ट्रीय पर्व पर भी निष्पक्ष होकर एकजुट नहीं हो सकते तो फिर देश के लिए कुछ और क्या कर पाएंगे ?
3. ये लोग लेख लिखकर केवल अपना नाम चमकाना चाहते हैं । अपना नाम चमकाने के लिए तो ये लंबे लंबे विश्लेषण का धारावाहिक लिख देंगे लेकिन राष्ट्रीय पर्व पर शुभकामना की एक छोटी सी टिप्पणी तक नहीं दे सकते आपकी तरह ।
आपको भी मेरी ओर से शुभकामनाएं ।
जिसकी भावनाएं शुद्ध होंगी।
उसका सदा शुभ ही होगा॥
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आपकी आत्मा बताएगी कि सही कौन है ?
@ भाई हरीश जी ! आपने अधिकतर मुसलमानों को बुरा बताया और हमने हिंदुओं को सदगुणों की खान बताया । मुसलमानों को बुरा बताने वाले आप जैसे आदमी को भी हमने एक अच्छा इंसान बताया , आपको अपना भाई समझा , कहा और बताया । आपकी पोस्ट पढ़ते ही हम टिप्पणी देने भी आए । हमने आपसे प्यार किया लेकिन बदले में आपसे हमें मिली नफ़रत , बदले में मिला अपना विरोध ।
मुहब्बत के बदले में पुरस्कार के बजाय सदा तिरस्कार ही क्यों मिलता है एक मुसलमान को आप लोगों से ?
जब आप मेरी बात को सही कह रहे हैं तो आप मेरी पोस्ट पर आए क्यों नहीं ?
इसका जवाब आप मुझे न दें बल्कि अपनी आत्मा को दें । अगर आप अपनी आत्मा को संतुष्ट पाते हैं तो आप सही हैं वर्ना मैं , मेरी बात तो सही है ही, आप मानते ही हैं।