@ डा. श्याम गुप्ता जी बताएं कि
सीधी सच्ची बात का विरोध क्यों ?
@ मिथिलेश जी ! मेरी गत पोस्ट में तो किसी भी आदमी को बुरा नहीं कहा गया है तो फिर किसको नीचा देखना पड़ गया है ?
उस पोस्ट में संयोजक जनाब सलीम ख़ान साहब की पोस्ट की वाहवाही मैंने ज़रूर की है, वह तुच्छ वाहवाही कैसे है ?
उनकी तारीफ़ से तो आपको ख़ुश होकर यह कहना चाहिए था कि हां , LBA के सभी सदस्यों को उनकी तरह ऐसे लेख लिखने चाहिएं जो दो और दो चार की तरह क्लियर हों और उनमें किसी धर्म के सिद्धांत और परंपराओं के हवाले न दिए जाएं । जिसे ऐसा करना हो वह अपने निजी ब्लाग पर ऐसा कर ले।
इसमें कौन सी बात किसको नीचा दिखा रही है भाई ?
मेरी पोस्ट में तो ईशनिंदा की परिस्थितियां उत्पन्न होने से रोकने के संबंध में विचार विमर्श किया गया है जैसा स्वयं भाई रवीन्द्र प्रभात जी (President, LBA) भी चाहते हैं।
मेरी सलाह से अच्छा सुझाव अगर किसी और के पास है तो वह बताए ?
आख़िर एक सही बात का भी विरोध आप क्यों कर रहे हैं ?
मैं तो आपके द्वारा कही गई बात को ही तो दोहरा रहा हूं।
आप कहें तो सही और वही बात हम कहें तो ग़लत ?
यह भेदभाव क्यों ?
LBA का पदधारी होने के नाते एक माँ की तरह आप सबको एक समान प्रेम दीजिए जैसे कि देती है सदा एक प्यारी माँ ।