अगर आपके पास तार्किक उत्तर नहीं हैं तो फिर पुराणों को विज्ञान का स्रोत बताकर भ्रम न फैलाया जाए ।
सभी धर्म न तो एक ईश्वर की पूजा करना बताते हैं और न ही वे सब के सब मानव जाति के लिए समान रूप से कल्याणकारी हैं ।
धर्म के नाम से जाने जा रहे कितने ही दर्शन तो ईश्वर का वजूद ही नहीं मानते !
पता नहीं आपने कहाँ पढ़ लिया कि सभी धर्म एक ही ईश्वर की पूजा करना बताते हैं ?
सही बात आपको बताई जाती है तो इसे आप शास्त्रार्थ कहने के बजाय विवाद करना समझकर अल्पबुद्धि का परिचय क्यों देते हैं बार बार ?
@ हरीश जी ! जब पोस्ट लेखक डा. श्याम गुप्ता जी को कोई ऐतराज नहीं है हमारे द्वारा सवाल पूछने पर बल्कि वह चाहते हैं कि उनसे सवाल पूछे जाएँ तो आपको क्या ऐतराज है भाई ?
जो सवाल आपसे पूछा है उसका जवाब आपने अभी तक क्यों नहीं दिया है ?
@ गुप्ता जी ! आपने भी नहीं बताया कि भागवत में महात्मा बुद्ध को विष्णु जी का पापावतार क्यों बताया गया है ?
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