Tuesday, May 22, 2012

सबके लिए एक ही नैतिकता को स्टैंडर्ड घोषित किया जाए Vivah

शर्मनाक हरकतें और बुज़ुर्ग

पर हमारी टिप्पणी

आंखें जो देखती हैं और मन जो समझ लेता है, वह हमेशा सच नहीं होता।
मोटर साइकिल पर साथ जाते भाई बहन को भी आशिक़ माशूक़ समझ लिया जाता है और अपनी लड़की को विदा करते हुए बाप को भी उसका दूल्हा समझ लिया जाता है।
दूल्हा जैसा सेहरा इस बुज़ुर्ग के चेहरे पर नहीं है और इन्होंने लड़की का हाथ नहीं पकड़ा है बल्कि इनका हाथ बड़ी अपनाइयत से पकड़े हुए है, जैसे कि विदाई के वक्त एक लड़की अपने बाप का हाथ पकड़ती है।
यह तो हुई आपके चित्र पर टिप्पणी।

इसके बावजूद भी बड़ी उम्र के लोग कम उम्र लड़कियों के साथ विवाह करते हैं। विवाह के लिए लड़की की रज़ामंदी शर्त होती है। कहीं यह रज़ामंदी ग़रीबी की वजह से होती है और कहीं दिल की गहराई से। आर्थिक मजबूरियों के चलते रज़ामंदी देने की आलोचना कितनी भी कर ली जाए लेकिन जहां देश में दहेज का दानव बहुओं को और कन्या भ्रूणों को निगल रहा हो, वहां इस तरह के विवाह होते ही रहेंगे।
एक सर्वे में यह भी बात सामने आई थी कि कुछ लड़कियां नौजवानों के मुक़ाबले बुज़ुर्गों को तरजीह देती हैं अपना पति बनाने के लिए क्योंकि नौजवान अभी ख़ुद को जमाने के लिए संघर्ष ही कर रहा होता है जबकि बुज़र्ग ऑल रेडी स्थापित होते हैं और वे नौजवानों की तरह ग़ैर ज़िम्मेदार भी नहीं होते। लिहाज़ा उम्र का फ़ासला लड़कियों को हमेशा ही दुख दे, ऐसी बात नहीं है। यह तो दिल का मामला है।
दिल कब किस पर आ जाए ?
क्या कहा जा सकता है ?

बुज़ुर्गों के द्वारा छेड़छाड़ और अवैध यौन संबंध वाक़ई निंदनीय है लेकिन तब जबकि एक सही सोच को समाज में मान्यता मिली हुई हो।
नगर वधू और गणिका से लेकर कई और तरीक़ों तक को समाज और परिवार में मान्यता मिली हुई है जिनके तहत यौन संबंध हमेशा से ही यहां बनते आए हैं।
यहां तक कि शास्त्र में विवाह के 8 प्रकार बताए गए हैं और उनमें बलात्कृता और अपहरण की हुई कन्या को भी पत्नी ही स्वीकार किया गया है।
अलग अलग समाजों के रीति रिवाज अलग अलग हैं लेकिन अब समय आ गया है कि सबके लिए एक ही नैतिकता को स्टैंडर्ड घोषित किया जाए।
यह नैतिकता वह होगी जो सबके लिए आज के समय में व्यवहारिक हो और सबके लिए लाभदायक भी हो।