Sunday, May 20, 2012

जो लोग सहज ध्यान नहीं कर पाते वे जीवन भर असहज ही रहते हैं

एक प्रकार का ध्यान है टहलना

पर हमारी टिप्पणी
टहलने के लिए जब आदमी निकले तो वह अल्लाह की नेमतों पर ध्यान दे।
अपने पैरों पर ध्यान दे।
जिस ज़मीन पर टहल रहा है, उसकी बनावट पर और उसकी हरियाली पर ध्यान दे।
उगते हुए सूरज की किरणों पर ध्यान दे।
सूरज निकलता है तो उसकी किरणें पेड़ पौधों के पत्तों पर पड़ती हैं तो तब वे फ़ोटोसिंथेसिस की क्रिया करते हैं। इस तरह वे ऑक्सीजन छोड़ते हैं जो कि हमारे जीवन और हमारी सेहत के लिए ज़रूरी है और वे हमारी छोड़ी हुई कार्बन डाई ऑक्साइड को सोख लेते हैं जो कि हमारे लिए जानलेवा है।
रौशनी, हवा, ज़मीन और हमारा शरीर, इनमें से हरेक चीज़ ऐसी है कि इन पर ध्यान दिया जाए।
जब यह ध्यान दिया जाएगा तो टहलना एक सहज ध्यान बन जाएगा और मालिक का शुक्र दिल से ख़ुद ब ख़ुद निकलेगा।
जो लोग सहज ध्यान नहीं कर पाते वे जीवन भर असहज ही रहते हैं।
दिल मालिक के शुक्र से भरा हो, उसकी मुहब्बत से भरा हो तो जीवन से शिकायतें ख़त्म हो जाती हैं।
प्रकृति सुंदर है, हमारा शरीर सुंदर है।
सुंदरता पर ध्यान देंगे तो जीवन में मधुरता और सकारात्मकता आएगी।
सुबह सुबह अच्छा काम करेंगे तो शाम तक का समय अच्छा गुज़रेगा।