Tuesday, February 19, 2013

हमारे देश में आतंकवाद किसने पनपाया ?


देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों पर भी राजनीति की जा रही है। यह ग़लत है लेकिन ग़लत काम करने वाले ही सदा से राज करते आए हैं।
मुजरिमों को सज़ा देने में भी राजनीति की जा रही है तो फिर न्याय कैसे होगा ?
अन्याय होगा तो आक्रोश पैदा होगा। आक्रोश फूटेगा तो फिर सुरक्षाकर्मी मरेंगे और तब न्याय के लिए जनता में से ही कुछ को सज़ा सुना दी जाएगी। ये मरे या वह, जो अन्याय करता है, वह महफ़ूज़ रहता है। आतंकवाद का मूल यही है। मूल सुरक्षित है। मूल की सुरक्षा हमारा कर्तव्य बना दिया गया है। ऐसा न किया तो संदिग्ध बन जाएगा।
राजनेता बड़े खिलाड़ी हैं। ये राजनीति भले ही दो कौड़ी की करते हों लेकिन अक्ल बहुत ऊँची रखते हैं। 
हमारे देश में आतंकवाद नहीं था। इसे किसने पनपाया ?
जब भी इस सवाल का जवाब ढूंढा जाएगा तो किसी न किसी राजनेता का नाम ही सामने आएगा। आतंकवाद के असल ज़िम्मेदार को कभी सज़ा सुनाई गई हो, ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है।
प्यादे मारे जा रहे हैं, शाह सलामत है।
-----------------
यह कमेंट आदरणीय महेन्द्र श्रीवास्तव जी की पोस्ट पर दिया गया है-