@ प्यारे भाई अमित जी ! ज़्यादातर लोग वही कथा जानते हैं जो कि सुकन्या द्वारा च्यवन ऋषि की भूलवश आंख फोड़ देने के विषय में मशहूर है कि इस घटना से कुपित होकर च्यवन ऋषि ने सुकन्या के राज्य के सभी नागरिकों का पेशाब पाख़ाना ही रोक दिया था और राजा से कहा कि वह अपनी बेटी का विवाह उससे कर दे। अपनी प्रजा की जान बचाने के लिए राजा ने अपनी सुकुमारी बेटी बूढ़े ऋषि को दे दी और उसके बाद एक दिन अश्विनी कुमार सुकन्या को नंगे नहाते हुए देखकर उस पर आसक्त हो जाते हैं और वे उसे अपनाने का प्रस्ताव देते हैं।
इसी कथा में आता है कि च्यवनप्राश का अवलेह 52 जड़ी बूटियों के योग से अश्विनी कुमारों ने बनाया था।
आप ऐसा मानना चाहें तो मान सकते हैं लेकिन हमें पता है कि ऋषि और देवताओं का चरित्र क्या होता है ?
अक्रोध और क्षमा ऋषि का मूल लक्षण होता है। वह भूल से किए गए कार्य को तो छोड़िए जानबूझ कर किए गए उत्पीड़न को भी क्षमा कर देता है। वह एक के कर्म का दंड दूसरे को नहीं देता और किसी की भूल का श्राप पूरे राज्य को कभी नहीं देता और न ही वह ब्लैकमेल करता है।
सत्पुरूष पराई स्त्री पर बुरी नज़र नहीं डालते और देवता उनसे भी ज़्यादा दिव्य चरित्र वाले होते हैं।
घटना को चमत्कारपूर्ण बनाने के मक़सद से ही ये सब तत्व बाद में डाल दिए गए हैं।
अस्ल बात कुछ और थी जिसे वह बता सकता है जो वैदिक परंपरा को भी जानता हो और औषधियों की प्रकृति और शक्ति को भी। हमें ऐसे ही एक विद्वान ब्राह्मण ने च्यवन ऋषि की वास्तविक कथा बताई थी जो कि इससे भिन्न है।
हम उसे ही मानते हैं।
बहरहाल आज बाज़ार में 25 से लेकर 80 घटकों तक के योग से निर्मित च्यवनप्राश बिक रहे हैं।
हरेक नुस्खे का मुख्य घटक आंवला ही है।
यह अकेला ही बुढ़ापे को भगाने की शक्ति रखता है बशर्ते कि इसे ताज़ा खाया जाए।
असली और नक़ली च्यवनप्राश की पहचान
आप ख़ुद चेक कर लीजिए।
एक बार आप एक महीना तक 52 घटकों वाला च्यवनप्राश खाएं और देखें कि आपके अंदर कितनी ताक़त का संचार हुआ ?
इसके बाद सुबह शाम, आप महीना भर ताज़ा आंवले खाएं।
अब आप ख़ुद देख लेंगे कि ताक़त किसने ज़्यादा दी ?
रिज़ल्ट आपको बताएगा कि च्यवन ऋषि ने क्या खाया था ?
ख़ैर अब बताएं कि ऋषभकंद क्या है जिसका इस्तेमाल वैदिक यज्ञ में किया जाता है ?
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यह कमेंट हमने निरामिष ब्लॉग की पोस्ट पर एक सवाल के जवाब में दिया है -
इसी कथा में आता है कि च्यवनप्राश का अवलेह 52 जड़ी बूटियों के योग से अश्विनी कुमारों ने बनाया था।
आप ऐसा मानना चाहें तो मान सकते हैं लेकिन हमें पता है कि ऋषि और देवताओं का चरित्र क्या होता है ?
अक्रोध और क्षमा ऋषि का मूल लक्षण होता है। वह भूल से किए गए कार्य को तो छोड़िए जानबूझ कर किए गए उत्पीड़न को भी क्षमा कर देता है। वह एक के कर्म का दंड दूसरे को नहीं देता और किसी की भूल का श्राप पूरे राज्य को कभी नहीं देता और न ही वह ब्लैकमेल करता है।
सत्पुरूष पराई स्त्री पर बुरी नज़र नहीं डालते और देवता उनसे भी ज़्यादा दिव्य चरित्र वाले होते हैं।
घटना को चमत्कारपूर्ण बनाने के मक़सद से ही ये सब तत्व बाद में डाल दिए गए हैं।
अस्ल बात कुछ और थी जिसे वह बता सकता है जो वैदिक परंपरा को भी जानता हो और औषधियों की प्रकृति और शक्ति को भी। हमें ऐसे ही एक विद्वान ब्राह्मण ने च्यवन ऋषि की वास्तविक कथा बताई थी जो कि इससे भिन्न है।
हम उसे ही मानते हैं।
बहरहाल आज बाज़ार में 25 से लेकर 80 घटकों तक के योग से निर्मित च्यवनप्राश बिक रहे हैं।
हरेक नुस्खे का मुख्य घटक आंवला ही है।
यह अकेला ही बुढ़ापे को भगाने की शक्ति रखता है बशर्ते कि इसे ताज़ा खाया जाए।
असली और नक़ली च्यवनप्राश की पहचान
आप ख़ुद चेक कर लीजिए।
एक बार आप एक महीना तक 52 घटकों वाला च्यवनप्राश खाएं और देखें कि आपके अंदर कितनी ताक़त का संचार हुआ ?
इसके बाद सुबह शाम, आप महीना भर ताज़ा आंवले खाएं।
अब आप ख़ुद देख लेंगे कि ताक़त किसने ज़्यादा दी ?
रिज़ल्ट आपको बताएगा कि च्यवन ऋषि ने क्या खाया था ?
ख़ैर अब बताएं कि ऋषभकंद क्या है जिसका इस्तेमाल वैदिक यज्ञ में किया जाता है ?
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