डिप्रेशन या अवसाद नए ज़माने की महामारी है। जब आदमी ज़िंदगी के बारे में ग़ैर हक़ीक़ी नज़रिया अख्तियार करता है और ऐसी अपेक्षाएं पालता है जो हक़ीक़त में पूरी नहीं हो सकतीं। जब ये अपेक्षाएं टूटती हैं तो इंसान को गहराई तक तोड़ कर रख देती हैं। ऐसे में खान पान और उपचार के साथ मन के उपचार की ज़रूरत भी है। मन को ग़ैर हक़ीक़ी नज़रिए के बजाय हक़ीक़त से वाक़िफ़ कराया जाए लेकिन हक़ीक़त का चेहरा भी बहुत भयानक होता है, जिसे देखकर इंसान की चीख़ निकल जाती है। ऐसे में उसे ईश्वर पर विश्वास बहुत बल देता है कि वह ईश्वर मेरा रक्षक और सहायक है, वह अवश्य मेरा कल्याण करेगा, वह अवश्य मेरे दुख दूर करेगा। जिसके पास यह संबल होता है, उसे अवसाद कभी नहीं होता और अगर कभी हो भी जाय तो वह जल्दी ही अवसाद से निकल आता है।
यह कमेंट कुमार राधारमण जी की पोस्ट पर दिया गया है। देखें-
अवसाद और मस्तिष्क
अवसाद या लंबे समय तक बना रहने वाला तनाव मस्तिष्क को सिकोड़ देता है। अमेरिका के येल युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने शोध अध्ययन में पाया है कि भावनात्मक परिवर्तनों से शरीर पर स्थाई एवं अस्थाई परिवर्तन होते हैं। मस्तिष्क का आकार भी इसी कारण घटता है।
अवसाद से शरीर में कई रासायनिक परिवर्तन होते हैं। कुछ स्थाई होते हैं तथा कुछ अस्थाई। हाल ही में हुए शोधों से साबित हुआ है कि प्राचीन काल से सकारात्मक सोच रखने की सीख अच्छे स्वास्थ के लिए कितनी जरूरी है। मरीज खुद को तनाव, अवसाद और व्याकुलता से जितना नुकसान पहुँचा सकता है उतना कोई दूसरा नहीं। सकारात्मक विचारों से शरीर की कई ग्रंथियाँ अधिक सक्रिय होकर काम करने लगती हैं। हारमोन्स का यह प्रवाह शरीर को तरोताजा रखता है। नींद भरपूर आती है और जीवन के प्रति रुचि जाग्रत होती है। व्याकुलता, अवसाद और अनिद्रा किसी भी इंसान को ध्वस्त करने की हद तक पहुँचा देने वाले मानसिक रोगों की अवस्थाएँ हैं। इनमें यदि वातावरणजन्य रोग और शामिल हो जाएँ तो जिंदगी ही व्यर्थ लगने लगती है। हमारी सोच पर वातावरण का भी प्रभाव पड़ता है।
यदि आपको अपने ऑफिस बिल्डिंग की कलर स्कीम अच्छी नहीं लग रही है तो आप बेहद थकान महसूस करेंगे, आपके शरीर में फ्लू जैसे क्षण उभरने लगेंगे। मस्तिष्क पर धुंधलका छा जाएगा। आमतौर पर वातावरणजन्य रोगों में व्याकुलता, अवसाद और अनिद्रा प्रमुखता से उभरते हैं। अवसादग्रस्त होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। यह जीवनसाथी के विछोह से लेकर प्रिय कुत्ते के मर जाने तक किसी भी कारण से हो सकता है। यह अवस्था कुछ समय तक ही रहती है बाद में आप सामान्य हो जाते हैं।
देर तक अवसादग्रस्त रहने पर शरीर में बेहद थकान, जीवन के प्रति अरुचि जैसे लक्षण उभरने लगते हैं। कई लोग अवसादग्रस्त या तनावग्रस्त होने पर अधिक खाने लगते हैं। उनकी मानसिक एकाग्रता नष्ट हो जाती है। वे भूलने लगते हैं। वे अनिर्णय की स्थिति में पहुँच जाते हैं। विचारों की स्पष्टता खत्म हो जाती है। सबसे पहले साँस पर ध्यान दें। अक्सर देखा गया है कि अवसादग्रस्त व्यक्ति भरपूर साँस नहीं लेता। उसके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम रहता है। इससे मरीज को सिरदर्द और पेटदर्द की भी शिकायत होती है। कभी-कभी मरीज को चक्कर भी आ जाते हैं। चिंता, तनाव और अवसाद जब रोजमर्रा के जीवन में हस्तक्षेप करने लगें तब चिकित्सक की मदद लेना जरूरी होता है।
क्या है इलाज
तनाव और अवसाद के इलाज के तौर पर वर्षों से प्राकृतिक तरीकों से दी जा रही चिकित्सा पर ही भरोसा किया जा सकता है। मरीज के व्यवहार और जीवनशैली से संबंधित कुछ तनाव बिंदुओं पर इलाज केंद्रित किया जाता है। व्यवहार में पूर्ण बदलाव के लिए इस तरह के १५ से २० सेशन की जरूरत होती है। मरीज के तनाव और अवसाद कारक बिंदुओं को चिन्हित कर उसकी नकारात्मक विचारधारा प्रक्रिया को रोकने की दिशा में काम किया जाता है। इसी के साथ मरीज में एक सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देने लगता है। मरीज को अवसाद मुक्त करने वाली दवाओं के साथ मूड एलिवेटर्स दी जाती हैं।
सिर्फ दवा काफी नहीं
मरीज़ अकेले औषधियों से ठीक नहीं होते। उन्हें दवाओं के साथ बिहेवियरल थैरेपी भी दी जाती है। इसके अलावा,योग और मानसिक तनाव शैथिल्य की क्रियाएं भी कराई जाती हैं।
अवसाद से निपटें इस तरह
-अवसाद से निपटने का सबसे सरल और कारगर तरीका यह है कि एक गिलास उबलते पानी में गुलाब के फूल की पत्तियाँ मिलाएं। ठंडा करें और शक्कर मिलाकर पी जाएं।
-एक चुटकी जायफल का पावडर ताजे आंवले के रस में मिलाकर दिन में तीन बार पी लें।
-ग्रीन टी भी अवसाद दूर भगाने में मदद करती है। दिन कम से कम तीन कप ग्रीन टी पिएं। अवसाद से छुटकारा पाने का एक और उपाय यह है कि एक कप दूध के साथ एक सेबफल और शहद का सेवन करें।
-गुनगुने पानी के टब में लगभग आधे घंटे के लिए शरीर को ढीला छोड़ दें। यदि ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हों तो नदी अथवा तालाब के पानी में तैरें। इससे अवसाद कम होगा।
-सामान्य चाय के प्याले में एक-चौथाई चम्मच तुलसी की पत्तियां मिलाएं और दिन में दो कप लें।
-एक कप उबलते पानी में दो हरी इलायची के दाने पीसकर मिला दें। शक्कर मिलाकर पी लें।
-सूखे मेवे,पनीर,सेबफल का सिरका एक गिलास पानी के साथ लें।
-कद्दू के बीज,गाजर का रस,सेबफल का रस,5-6 सूखी खुबानी को राई के दानों के साथ मिलाकर पीस लें और इसे पी लें(सेहत,नई दुनिया,सितम्बर प्रथमांक 2012)।