भाई रतन सिंह शेख़ावत जी ! आपसे किसने कह दिया कि भारत की राजपूत जाति के अलावा किसी और जाति पर शोध करने के लिए विदेशी नहीं आते ?
यह भी आपने अच्छी बात बताई कि मुग़ल पीरिएड और इंग्लिश पीरिएड पर भी विदेशी शोध करने नहीं आते।
लड़की ब्याहने की बात आई तो लड़की के बाप की ग़ैरत जाग गई और कल्ला की भी और अगर अकबर रिश्ते की बात न करता तो ये दोनों ससुर जवांई उसके दरबार में बैठे ही थे उसकी जी हुज़ूरी करने के लिए और अकबर उन्हें लड़ने के लिए जहां भेजता था, जाते थे और अपने जाति भाईयों का नरसंहार करते रहते थे।
यह ग़ैरत भी अजीब तरह की ग़ैरत है जिसे केवल राजस्थान के राजपूत ही जानते हैं और इसी अजीबो-ग़रीब चरित्र वाली ग़ैरत पर शोध करने के लिए विदेशी आते होंगे।
आप ज़रा बताएं तो सही कि कल्ला की मौत के बाद शेष राजस्थानी राजपूत राजाओं ने अकबर के खि़लाफ़ बग़ावत का कितना बड़ा बिगुल फूंका, ख़ासकर कल्ला के ससुर राजा भोज ने क्या किया ?
या वह अपना दामाद मरवा के भी अकबर का ही वफ़ादार बना रहा ?
अपनी लड़की-बहू की बात आई तो ग़ैरत जाग गई और भारत माता की बात आई तो ग़ैरत सोती रही ?
भय्ये ऐसे स्वाभिमान और ऐसी अनोखी ग़ैरत का तो हमें सचमुच पता नहीं है, यह तो शोध वाले ही समझ सकते हैं।
http://vedkuran.blogspot.com/2011/05/dr-anwer-jamal.html
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@अनवर जमाल
तुम क्या जानो स्वाभिमान !
भारत पर मुगलों ने वर्षों राज किया ,अंग्रेजों ने भी यहाँ सालों तक राज किया फिर भी आज विदेशों से शोधकर्ता सिर्फ राजपूत संस्कृति और चरित्र पर शोध करने आते है | मुगलों व अंग्रेजी राज पर कोई शोध करने नहीं आता |
राजपूत संस्कृति समझना तुम्हारे जैसे लोगों के बस की बात नहीं |
तुम क्या जानो स्वाभिमान !
भारत पर मुगलों ने वर्षों राज किया ,अंग्रेजों ने भी यहाँ सालों तक राज किया फिर भी आज विदेशों से शोधकर्ता सिर्फ राजपूत संस्कृति और चरित्र पर शोध करने आते है | मुगलों व अंग्रेजी राज पर कोई शोध करने नहीं आता |
राजपूत संस्कृति समझना तुम्हारे जैसे लोगों के बस की बात नहीं |