Saturday, April 2, 2011

मार्गदर्शक मंडल हमारी वाणी के साथ ऐसी दुश्मनी दोस्ती की आड़ में क्यों कर रहा है ? Conspiracy

मंगलायतन: हमारीवाणी की दादा गिरी
मनोज पांडेय जी ! आप तो फिर भी खुशनसीब हैं कि आपकी टिप्पणी को छपना तो नसीब हो गया। द्विवेदी जी से हमने कहा था कि यह शिकायत हमने की है और हमने अपना नाम नहीं छिपाया है चाहे तो ब्लॉग की ख़बरें की ताज़ा दो पोस्ट देख लीजिए। उन्होंने अभी तक तो हमारी टिप्पणी पब्लिश ही नहीं की है।
आपकी तो दो दो पब्लिश कर दी हैं।
भाई साहब, आपकी शिकायत जायज़ है।
अगर कोई एक लेखक कई जगह लिख रहा है तो इनके पेट में दर्द क्यों उठता है ?
अगर लेखक का नाम टैग में चमक रहा है, शीर्षक के साथ भी दिख रहा है तो इन्हें क्या परेशानी है कि फ़ोटो ब्लॉग के संयोजक का क्यों दिख रहा है ?
अरे भाई तुम हो कौन ?
तुम एक एग्रीगेटर हो। कोई अश्लील सामग्री आए तो ज़रूर उसे हटाइये लेकिन बेजा पैर फसांएगे तो ब्लॉगर्स के लिए दूसरे एग्रीगेटर्स और बहुत हैं लेकिन हमारी वाणी विवादित और अलोकप्रिय हो ही जाएगी। मार्गदर्शक मंडल ऐसी ही परिस्थितियां बना रहा है। लेकिन मार्गदर्शक मंडल हमारी वाणी के साथ ऐसी दुश्मनी दोस्ती की आड़ में क्यों कर रहा है ?
मैंने भी इस संबंध में कुछ लिखा है।
भाई साझा ब्लॉग वाले ब्लॉगर्स भी हर दम कंप्यूटर पर सवार नहीं रहते कि पोस्ट आते ही तुरंत जान लें कि किसने कौन सी पोस्ट कितने ब्लॉग्स पर डाली है ?
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