हालात ख़राब हैं मालिक सबका भला करे और हमारे मुल्क में अम्नोअमान बना रहे , बस यही दुआ है हमारी
नेक लोग इन लुच्चे-टुच्चे लोगों में ऐसे पिसते रहते हैं जैसे कि गेहूं के साथ घुन।
आज जिसे देखिए वही नेता बना घूम रहा हो चाहे उनमें राजनेताओं की कुटिल चाल समझने के लायक़ अक्ल न हो। अन्ना हज़ारे और बाबा रामदेव इसके ज़िन्दा उदाहरण हैं। ये तो फिर भी ग़नीमत हैं लेकिन आजकल तो वेश्याएं और समलैंगिक तक नेता बने घूम रहे हैं और देश को दिशा देने में लगे हैं।
अरे भाई ! नेता बनने के लिए कुछ योग्यता होना ज़रूरी है कि नहीं या पीछे भीड़ इकठ्ठी हुई नहीं और खड़े हो गए नेता बनकर ?
जनता की समस्याओं का समाधान तभी मुमकिन है जबकि वह ‘मानवता के आदर्श‘ को पहचानना सीखे और उसका अनुसरण भी करे। तभी उसे ऐसे नेता मयस्सर आएंगे जो उसे ‘सीधी राह‘ दिखांएगे।
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