Tuesday, June 7, 2011

वंदे मातरम् गाने मात्र से आदमी में वीरता और बलिदान की भावना नहीं आ जाती वर्ना बाबा रामदेव जी में ये गुण ज़रूर आ चुके होते



आपने सच कहा हमारे बाबा भोले-भाले हीरो हैं और कपिल जी हैं खलनायक सनम बेवफ़ा के डैनी जैसे ।
कपिल जी के लिए हम निम्न कहावतें नहीं कह सकते:

1. कौआ चला हंस की चाल और वह अपनी भी भूल गया ।
2. सियार का रंग उतर गया तो उसकी हक़ीक़त खुल गई।
3. अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान ।

अगर ये कहावतें कपिल जी पर फ़िट नहीं बैठतीं तो फिर आप उन्हें ज़िम्मेदार भी नहीं ठहरा सकते लेकिन फिर भी हमें मानना चाहिए कि बाबा भोले हैं । आज भी जब उन्हें नींद नहीं आती तो आश्रम की औरतें उन्हें कपिल जी का नाम लेकर सुला देती हैं बिल्कुल शोले स्टाइल में लेकिन बाबा हैं कि ठीक डेढ़ बजे जाग जाते हैं और छलाँगे लगाने लगते हैं । अब निजी ख़र्चे पर दो चार लेडीज़ सूट के साथ एक बुरक़े का ऑर्डर भी उन्होंने दिया है । ऐसी अफ़वाह सुनने में आ रही है।
बाबा को अच्छा कहो और कपिल जी को बुरा , यह नीति ठीक है । जो ऐसा करेगा उसे ठुमकती बुढ़िया वर्ग लाइक करेगा , श्योर।
आपके टोटके भी ग़ज़ब के हैं साहब । आप वही बोलते हैं जो लोग सुनना चाहते हैं । जबकि हम वह कहते हैं जो हम कहना चाहते हैं।
और हम यह कहना चाहते हैं कि वंदे मातरम् गाने मात्र से आदमी में वीरता और बलिदान की भावना नहीं आ जाती वर्ना बाबा रामदेव जी में ये गुण ज़रूर आ चुके होते।