जब भी कोई ऊपर वाले पर कोई इल्ज़ाम लगाता है तो यह उनके दिल पर क़ियामत की तरह टूटता है जो सत्य जानते हैं। सत्य यह है कि उस पालनहार प्रभु ने किसी पर कोई ज़ुल्म नहीं किया है। उसने मुनष्य को पेड़-पौधों और पशुओं से उच्चतर चेतना दी है। पेड़-पौधे और पशु सभी अपने स्वाभाविक कर्तव्य अंजाम देते हैं लेकिन यह इंसान ही है जो कि अपने अधिकार का ग़लत इस्तेमाल करता है। परस्पर सहयोग के बजाय शोषण कौन करता है ?
यह काम इंसान करता है।
जो शोषण की शिकायत करता है, वही दूसरे स्तर पर ख़ुद शोषण करता हुआ नज़र आएगा। अपनी बहुओं से दहेज का लालच न रखने वाली और दूसरों का उदाहरण देकर उसके दिल को न जलाने वाली सास ननदें कितनी हैं ?
दहेज हत्या से लेकर कन्या भ्रूण हत्या तक, दर्जनों घिनौने अपराध बिना औरत के सहयोग के संभव ही नहीं हैं।
तांत्रिकों और बाबाओं को अपना रूपया और अपनी अस्मत देने के लिए औरत ख़ुद चलकर उनके डेरे पर जाती है। जो पढ़ी लिखी होने का दंभ रखती हैं और बाबाओं के पास नहीं जातीं, वे हीरोईनें और मॉडल्स बनकर दुनिया के सामने ख़ुद को परोसती हैं। पर्दे के पीछे उनके साथ क्या होता है ?, इसकी कहानियां भी समय समय पर सामने आती रहती हैं। वे तो आग भड़काकर पीछे हट जाती हैं लेकिन क्लिंटन अपने ऑफ़िस की किसी न किसी लेविंस्की को थाम ही लेता है। लेविंस्की न मिले तो अपने ब्वायफ़्रेंड के साथ देर रात अकेले घूमती हुई कोई आधुनिका ही सही। जागरूक शिक्षित कन्याएं आजकल गर्भनिरोधक गोलियां खा रही हैं और लिव इन रिलेशनशिप में रहकर अपनी मर्ज़ी से अपना शोषण करवा रही हैं।
ईश्वर की एक निर्धारित व्यवस्था है, जिसका नाम सब जानते हैं। जब आदमी या औरत उससे बचकर किसी और मार्ग पर निकल जाए तो फिर वह जिस भी दलदल में धंस जाए तो उसके लिए वह ईश्वर को दोष न दे बल्कि ख़ुद को दे और कहे कि मैं ही पालनहार प्रभु के मार्गदर्शन को छोड़कर दूसरों के दर्शन और अपनी कामनाओं के पीछे चलता रहा।
अल्लाह तो लोगों पर तनिक भी अत्याचार नहीं करता, किन्तु लोग स्वयं ही अपने ऊपर अत्याचार करते है (44) जिस दिन वह उनको इकट्ठा करेगा तो ऐसा जान पड़ेगा जैसे वे दिन की एक घड़ी भर ठहरे थे। वे परस्पर एक-दूसरे को पहचानेंगे। वे लोग घाटे में पड़ गए, जिन्होंने अल्लाह से मिलने को झुठलाया और वे मार्ग न पा सके (45)
सूरा ए यूनुस आयत 44 व 45
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आदमी आज भी वही है जोकि वह आदिम युग में था। समय के साथ साधन बदलते हैं लेकिन प्रकृति नहीं बदलती। बुरे लोगों की बुराई से बचने के लिए अच्छे लोगों को संगठित होकर अच्छे नियमों का पालन करना ही होगा। इसके सिवाय न पहले कोई उपाय था और न आज है।