Thursday, February 2, 2012

यज्ञ हो तो हिंसा कैसे ।। वेद विशेष ।। पर एक संवाद भाई अनुराग शर्मा जी से

यज्ञ हो तो हिंसा कैसे ।। वेद विशेष ।। पर एक संवाद भाई अनुराग शर्मा जी से

  1. @ डॉ. जमाल,


    आप वृषभ के अर्थ देखिये तो सही, ऋषभकन्द की बात भी अपने आप ही क्लीयर हो जायेगी। ऑक्स्फ़ोर्ड के संस्कृत प्राध्यापक सर मॉनियेर मॉनियेर-विलियम्स के ऋग्वैदिक शब्दकोष के अनुसार भी वृषभ का एक अर्थ बैल के सींग जैसी शक्ल की कन्द होता है। इसके अलावा वृषभ शब्द का अर्थ शक्ति और शक्तिमान है। आप तो पोषण के बारे में काफ़ी टिप्पणियाँ देते रहे हैं, आपको यह तो पता होगा कि शर्करा तुरंत शक्ति देती है। आप तो संस्कृत के विद्वान हैं, यह भी समझते होंगे कि वृषभ ऋषभ का ही एक रूप है, ठीक वैसे ही जैसे विशुद्ध, शुद्ध का। पहले जैन तीर्थंकर ऋषभदेव अयोध्या के प्रसिद्ध इक्ष्वाकु वंश में जन्मे थे और इक्ष्वाकु वंश को संसार में पहली बार ईख की खेती करने का श्रेय जाता है। वही गन्ने जिसके लिये सिकन्दर के साथ आये मेगस्थनीज़ ने आश्चर्य से लिखा था कि भारतीय लोग बिना मधुमक्खी के शहद बनाते हैं। ऋषभकन्द के बारे में इतनी जानकारी पाकर अब आपको अन्दाज़ लग जाना चाहिये कि बात किस चीज़ की हो रही है।

    वेद और यज्ञ में हिंसा के आपके अब तक के आक्षेप का अच्छी तरह निराकरण हुआ है। अब और नया उधार लेने से पहले, पहले का पूरा नहीं तो कुछ तो चुकता करते जाओ। बात शाकाहार की हुई हो या वेदमंत्रों की, आपने पोषण और विटामिन के बारे में जो बात की, गलत साबित हुई, मंत्रों की बात की गलत साबित हुई, शब्दार्थ की बात की, गलत साबित हुई। लेकिन आप अभी भी नये सवाल लाये जा रहे हैं। इत्मीनान रखिये, आपके ताज़ातरीन सवालों के सटीक जवाब देने में हमें कोई समस्या नहीं है। सच तो यह है कि वे जवाब हज़ारो साल पहले दिये जा चुके हैं, और वो भी उन्हीं किताबों में जिनमें आप अभी तक बस सवाल ढूंढ रहे हैं। फिर भी अगर आप अपनी नई शंकाओं का निराकरण भी हमीं से सुनना चाहते हैं तो आपकी वह इच्छा भी अवश्य पूरी होगी मगर समय आने पर। तब तक के लिये स्पूनफ़ीडिंग करने के बजाय मैं उसका होमवर्क आज आप को ही देता हूँ:

    होमवर्क: आपने जिस मंत्र को उद्धृत किया, उसके सूक्त में वर्णित संसार के उद्गम का विश्व का प्राचीनतम और सुन्दरतम विमर्श आगे वेदांत तक चला है, ज़रा ढूंढकर लाइये और पाठकों को बस इतना बता दीजिये कि यह विमर्श आगे कैसा चला और इसका निष्पादन किस उपनिषद में हुआ है?
    [वैसे तो आपका सवाल विषय से इतर ही था, इसलिये "निरामिष" प्रवक्ता की अनुमति से यहाँ रखें अन्यथा मुझे ईमेल पर भेज दें, धन्यवाद]
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    1. @ भाई अनुराग शर्मा जी ! आपकी ख्वाहिश का सम्मान करते हुए हमने नासदीय सूक्त पर हुए विमर्श को तलाश किया तो हमें यह मिला है, आप एक नज़र देख लेंगे तो हम आपके शुक्रगुज़ार होंगे।
      वेद में सरवरे कायनात स. का ज़िक्र है Mohammad in Ved Upanishad & Quran Hadees
      यह जानने के लिए आज हम वेद भाष्यकार पंडित दुर्गाशंकर सत्यार्थी जी का एक लेख यहां पेश कर रहे हैं।
      आज तक लोगों ने यही जाना है कि ‘ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो ज्ञानी होय‘ लेकिन अगर ‘ज्ञान‘ के दो आखर का बोध ढंग से हो जाए तो दिलों से प्रेम के शीतल झरने ख़ुद ब ख़ुद बहने लगते हैं। यह एक साइक्लिक प्रॉसेस है।
      पंडित जी का लेख पढ़कर यही अहसास होता है।
      मालिक उन्हें इसका अच्छा पुरस्कार दे, आमीन !
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      ‘इयं विसृष्टिर्यत आबभूव यदि वा दधे यदि वा न। यो अस्याध्यक्षः परमेव्योमन्तसो अंग वेद यदि वा न वेद।‘
      वेद 1,10,129,7
      यह विविध प्रकार की सृष्टि जहां से हुई, इसे वह धारण करता है अथवा नहीं धारण करता जो इसका अध्यक्ष है परमव्योम में, वह हे अंग ! जानता है अथवा नहीं जानता।
      सामान्यतः वेद भाष्यकारों ने इस मंत्र में ‘सृष्टि के अध्यक्ष‘ से ईशान परब्रह्म परमेश्वर अर्थ ग्रहण किया है, किन्तु इस मंत्र में एक बात ऐसी है जिससे यहां ‘सृष्टि के अध्यक्ष‘ से ईशान अर्थ ग्रहण नहीं किया जा सकता। वह बात यह है कि इस मंत्र में सृष्टि के अध्यक्ष के विषय में कहा गया है - ‘सो अंग ! वेद यदि वा न वेद‘ ‘वह, हे अंग ! जानता है अथवा नहीं जानता‘। ईशान के विषय में यह कल्पना भी नहीं की जा सकती कि वह कोई बात नहीं जानता। फलतः यह सर्वथा स्पष्ट है कि ईशान ने यहां सृष्टि के जिस अध्यक्ष की बात की है, वह सर्वज्ञ नहीं है। मेरे अध्ययन के अनुसार यही वेद में हुज़ूर स. का उल्लेख है। शब्द ‘नराशंस‘ का प्रयोग भी कई स्थानों पर उनके लिए हुआ है किन्तु सर्वत्र नहीं। इसी सृष्टि के अध्यक्ष का अनुवाद उर्दू में सरवरे कायनात स. किया जाता है।
      फलतः श्वेताश्वतरोपनिषद के अनुसार वेद का सर्वप्रथम प्रकाश जिस पर हुआ। वह यही सृष्टि का अध्यक्ष है। जिसे इस्लाम में हुज़ूर स. का सृष्टि-पूर्व स्वरूप माना जाता है।
      मैं जिन प्रमाणों के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं, आइये अब उसका सर्वेक्षण किया जाए।
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      http://www.vedquran.blogspot.in/2012/01/mohammad-in-ved-upanishad-quran-hadees.html