इस्लामी आतंकवाद यह एक शब्द है जिसे पश्चिम के सूदख़ारों ने इस्लाम को बदनाम करने के लिए दिया और दुनिया भर के सूदख़ोरों ने इसे दुहराया। यह लेख पढ़कर पता चला कि दीन की सही समझ न रखने वाले ऐसे लोग भी इसकी चपेट में आ गए हैं जिनके नाम मुसलमानों जैसे हैं। हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु और उनके परिजनों को करबला में ज़ालिमाना तरीक़े से क़त्ल कर डाला गया। इन ज़ालिमों में हुकूमत के लालची यज़ीद के सैनिक भी थे और वे दग़ाबाज़ भी थे जिन्होंने ख़त लिखकर आली मक़ाम इमाम हुसैन रज़ि. को बुलाया था। नबी स. और औलादे नबी से मुहब्बत ईमान का लाज़िमी तक़ाज़ा और उसकी एक लाज़िमी अलामत है। ये ज़ालिम इस मुहब्बत से बिल्कुल ख़ाली थे। इनके अमल को आज तक दुनिया के किसी भी आलिम ने ‘इस्लामी अमल‘ नहीं कहा। दग़ाबाज़ों का कोई भी अमल कभी इस्लामी नहीं होता।
हज़रत मुहम्मद स. ने फ़रमाया है कि
‘जो धोखा दे वह हम में से नहीं है।‘
क़ातिलाने हुसैन का धोखा जगज़ाहिर है। उनके अमल को सिर्फ़ आतंकवाद कहा जाना उचित है।
इस्लाम क्या है ?
यह इमाम हुसैन रज़ि. की ज़िंदगी से जानने की ज़रूरत है।
‘इस्लाम‘ का एक अर्थ सलामती और शान्ति है।
‘इस्लामी आतंकवाद‘ का अनुवाद होता है ‘शान्तिवादी आतंकवाद‘।
क्या दुनिया में ‘शान्तिवादी आतंकवाद‘ संभव है ?
जहां शान्ति होगी वहां आतंकवाद नहीं हो सकता और जहां आतंकवाद होगा वहां शान्ति नहीं हो सकती।
अतः ‘इस्लामी आतंकवाद‘ एक ग़लत शब्द है। अपने खंडन के लिए यह शब्द ख़ुद ही गवाह है।
लेखक को इस बात पर संजीदगी से विचार करना चाहिए।
हज़रत मुहम्मद स. ने फ़रमाया है कि
‘जो धोखा दे वह हम में से नहीं है।‘
क़ातिलाने हुसैन का धोखा जगज़ाहिर है। उनके अमल को सिर्फ़ आतंकवाद कहा जाना उचित है।
इस्लाम क्या है ?
यह इमाम हुसैन रज़ि. की ज़िंदगी से जानने की ज़रूरत है।
‘इस्लाम‘ का एक अर्थ सलामती और शान्ति है।
‘इस्लामी आतंकवाद‘ का अनुवाद होता है ‘शान्तिवादी आतंकवाद‘।
क्या दुनिया में ‘शान्तिवादी आतंकवाद‘ संभव है ?
जहां शान्ति होगी वहां आतंकवाद नहीं हो सकता और जहां आतंकवाद होगा वहां शान्ति नहीं हो सकती।
अतः ‘इस्लामी आतंकवाद‘ एक ग़लत शब्द है। अपने खंडन के लिए यह शब्द ख़ुद ही गवाह है।
लेखक को इस बात पर संजीदगी से विचार करना चाहिए।
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